Book Title: Bhagvati Sutra Part 03 Author(s): Ghevarchand Banthiya Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh View full book textPage 9
________________ विषयानुक्रमणिका शतक ७ पृष्ठ | क्रमांक विषय उद्देशक ३ कर्म क्रमांक विषय . पृष्ठ उद्देशक १ . २४७ अनाहारक और अल्पाहारक का | २६२ वर्षादि ऋतुओं में वनस्पति का काल १०७८ आहार २४८ लोक संस्थान २६३ कृष्णादि लेश्या और अल्पाधिक १०८१ २४९ श्रमणोपासक की सांपरायिकी क्रिया २६४ वेदना और निर्जरा .. ११३७ १०८२ २५० श्रमणोपासक के उदार व्रत १०८३ २६५ शाश्वत अशाश्वत नैरयिक ११४३ २५१ श्रमणों को प्रतिलाभने का लाभ १०८५ उद्देशक ४ २५२ कर्म रहित जीव की गति १०८७ २६६ संसार समापनक जीव ११४५ २५३ दुःख से व्याप्त २५४ ऐर्यापथिकी और सांपरायिकी उद्देशक ५ क्रिया | २६७ खेचर तिर्यंच के भेद ११४७ २५५ अंगारादि दोष । १.९५ उद्देशक ६ २५६ क्षेत्रातिक्रान्तादि दोष . १०९९ २५७ शस्त्रातीत आदि दोष २६८ आयु का बंध और वेदन कहां? ११४६ ११०१ (अ) उदगम के सोलह दोष ११०४ २६९ आभोगनिर्वतितादि आयु ११५३ ११५३ २७० कर्कश अकर्कश वेदनीय (ब) उत्पादना के सोलह दोष ११०६ २७१ साता-असाता वेदनीय ११५६ . (स) एषणा के दस दोष ११०७ २७२ भरत में दुषम-दुषमा काल ११५८ उद्देशक २ २७३ छठे आरे के मनुष्यों का स्वरूप ११६२ २५८ सुप्रत्याख्यान दुष्प्रत्याख्यान ११०९ उद्देशक ७ २५९ मूलोत्तर गुण प्रत्याख्यान १११३ | २७४ संवृत्त अनगार और क्रिया ११६८ २६० प्रत्याख्यानी अप्रत्याख्यानी ११२० २७५ काम-भोग २६१ क्या जीव शाश्वत है ? ११२८ ] २७६ छद्मस्थ और केवली ११७५ १०९३ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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