Book Title: Bhagvati Sutra Part 03
Author(s): Ghevarchand Banthiya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 11
________________ (१०) . १३७८ १५२९ क्रमांक विषय पृष्ठ | क्रमांक विषय ३१२ श्रावक व्रत के भंग उद्देशक ९ ३१३ आजीविकोपासक और ३२५ प्रयोग और विलसा बंध श्रमणोपासक १४६६ १३८६ ३२६ प्रयोग बंध १४७५ उद्देशक ६ ३२७ शरीर बंध १४८१ ३२८ वैक्रिय शरीर प्रयोग बंध ३१४ श्रमण-अश्रमण के प्रतिलाभ १४९८ ३२६ आहारक शरीर प्रयोग बंध १५११ का फल १३९२ ३३० तेजस्-शरीर प्रयोग बंध ३१५ दूसरों के लिये प्राप्त पिण्ड का १५१५ ३३१ कार्मण-शरीर प्रयोग बंध उपभोग १३९५ ३३२ शरीर बंध का पारस्परिक ३१६ अकृत्य सेवी आराधक ? १३९९ सम्बन्ध ३१७ दीपक जलता है या बत्ती ? १४०६ ३३३ बंधकों का अल्पबहुत्व ३१८ क्रियाएँ कितनी लगती हैं ? १४०७ १५३५ . उद्देशक १० उद्देशक ७ ३३४ श्रुत और शील के आराधक १५३७ ३१९ अन्य तीथिक और स्थविर संवाद १४१५ / ३३५ जघन्यादि आराधना और आराधक १५४१ उद्देशक ८ । ३३६ आराधकों के शेष भव १५४५ ३२० प्रत्यनीक । १४२८ ३३७ पुद्गल का वर्णादि परिणाम १५४७ ३२१ व्यवहार के भेद । ३३८ पुद्गलास्तिकाय के प्रदेश १५४९ ३२२ ऐर्यापषिक और सांपरायिक ३३९ लोकाकाश और जीव के प्रदेश १५५१ १४३५ ३४० कर्म-वर्गणाओं से आबद्ध जीव १५५२ ३२३ कर्म प्रकृति और परीषह १४५१ ३४१ कर्मों का पारस्परिक संबंध १५५६ ३२४ सूर्य और उसका प्रकाश . १४६२ । ३४२ जीव पुद्गल है या पुद्गली ? १५६५ १४३२ बन्ध Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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