Book Title: Bhagirath Kosh
Author(s): Dinanath Kaul
Publisher: Navalkishor Press

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Page 328
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मागीरथ कोष. ३२३ 7 (E) ( नौम ) नींद । 10 (3) (नाउम्मेद) निराश । 4 (४) (नोनिया) नमक बेचनेवाला। wasierry ()(नवीसिन्दा) लिखनेवाला, लेखक । * () ( नेह ) नहीं । (5) ( नेहाद ) जात, असल, बुनियाद । (E) ( नहार ) दिन का समय । SH (s) (नहारवा) एक पानी का कीड़ा है। (४) (निहारी) छोटी हाजिरी, प्रातःकाल के समया चौपायों को रातिब देना, सबेरे का खाना। UF(४) (निहाल ) धनवान्, प्रसन्न । Ut () (निहाल ) पौधा, बूटा । (E) (निहायत) अत्यन्त, विशेष, बहुत ही बहुत । lig (४) (निहत्ता) बेहथियार, बिना शनवाला । es (E) (निहज ) प्रकार, तरह, ढंग ।। (E) ( नहर ) नाला, पानी की बड़ी नाली । Sir (४) (नहरनी) औजार जिससे नाखुन कतरे जाते हैं। EM (४) (नहलाना) स्नान कराना। Lir (४) ( निहंग ) बेपरवाह, बच्चा घड़ियाल । Siye () (निहोड़ा) बिनती, हाथ जोड़ना । (3) (नियावत) नायब होना, गुमाश्तेगरी, मुनीमी । (४) ( नियार) चारा, पशु का भोजन, राख में से चांदी सोना निकालना। 4 (४) (नियारिया) धर्ती में से घातु निकालनेवाला । For Private and Personal Use Only

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