Book Title: Bhagavati Sutra par Vyakhyan
Author(s): Shobhachad Bharilla
Publisher: Sadhumargi Jain Shravak Mandal Ratlam

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Page 351
________________ [ ६९७ ] .. संसार संस्थानकाल और नये जाते हैं, अतएव पृथ्वीकाय आदि में भी मिश्रकाल अनन्तगुणा है । मनुष्यों और देवों के संस्थान काल की होनाधिकता नारकियों के ही समान समझनी चाहिए । 3 संसार की अपेक्षा जीव का तीन काल का संसारसंस्थान काल समाप्त होता है । इसके अनन्तर मोक्ष का प्रश्न उपस्थित होता है । उस पर आगे विचार किया जाता है ।

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