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संसार संस्थानकाल
और नये जाते हैं, अतएव पृथ्वीकाय आदि में भी मिश्रकाल अनन्तगुणा है ।
मनुष्यों और देवों के संस्थान काल की होनाधिकता नारकियों के ही समान समझनी चाहिए ।
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संसार की अपेक्षा जीव का तीन काल का संसारसंस्थान काल समाप्त होता है । इसके अनन्तर मोक्ष का प्रश्न उपस्थित होता है । उस पर आगे विचार किया जाता है ।