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________________ श्रीभगवती सूत्र [ ६६६ ] इसके अनन्तर गौतम स्वामी प्रश्न करते हैं कि नरक की अपेक्षा से तीनों कालों में कौन-सा फालं संघ से कम अधिक हैं? भगवान् ने फर्माया-नरक की अपेक्षा से संव से कम अशून्यकाल है । श्रशून्यकाल उत्कृष्ट से उत्कृष्ट चारह मुहूर्त्त का है। मिश्रकाल, श्रंशून्यकाल से श्रनन्तगुणा है । जीव नरक से निकलकर दूसरी गति में जाकर त्रस और वनस्पति आदि में गमनागमन करके फिर नरक में आवे, तब तक मिश्रकाल ही है । : ''. मिश्रकाल अनन्तगुणा है, इसका कारण यह है कि 'नारकी का निर्लेपनं काल और वनस्पति का कायस्थिति काल भागता है । इसलिए मिश्रकाल अनन्तगुण है शून्यकाल, मिश्रकाल से भी अनन्तगुणा है । नरक के जीव 'तरक से निकलकर वनस्पति में जाते हैं और वनस्पति की स्थिति अनन्तकाल की है अतएव शून्यकाल अनन्तगुणा है । तिर्यवों की अपेक्षा सव से कम अशून्यकाल है । चारह मुहूर्त्त का विरह होता है, इसलिए शून्यकाल कम है । - तिर्यच पंचेन्द्रिय की अपेक्षा अशून्यकाल वारह मुहर्त्त 'है, तीन विकलेन्द्रिय का अनन्तमुहूर्त्त का है और पांच समूर्छिम तियेचों की अपेक्षा अशून्यकाल है ही नहीं । एकेन्द्रिय की अपेक्षा से भी अशून्यकाल नहीं होता, मिश्रकाल ही रहता है। पृथ्वीकार्य आदि में भी असंख्य जीव उत्पन्न होते हैं,
SR No.010494
Book TitleBhagavati Sutra par Vyakhyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhachad Bharilla
PublisherSadhumargi Jain Shravak Mandal Ratlam
Publication Year1947
Total Pages364
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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