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श्रीभगवती सूत्र
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इसके अनन्तर गौतम स्वामी प्रश्न करते हैं कि नरक की अपेक्षा से तीनों कालों में कौन-सा फालं संघ से कम अधिक हैं? भगवान् ने फर्माया-नरक की अपेक्षा से संव से कम अशून्यकाल है । श्रशून्यकाल उत्कृष्ट से उत्कृष्ट चारह मुहूर्त्त का है। मिश्रकाल, श्रंशून्यकाल से श्रनन्तगुणा है । जीव नरक से निकलकर दूसरी गति में जाकर त्रस और वनस्पति आदि में गमनागमन करके फिर नरक में आवे, तब तक मिश्रकाल ही है ।
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मिश्रकाल अनन्तगुणा है, इसका कारण यह है कि 'नारकी का निर्लेपनं काल और वनस्पति का कायस्थिति काल भागता है । इसलिए मिश्रकाल अनन्तगुण है
शून्यकाल, मिश्रकाल से भी अनन्तगुणा है । नरक के जीव 'तरक से निकलकर वनस्पति में जाते हैं और वनस्पति की स्थिति अनन्तकाल की है अतएव शून्यकाल अनन्तगुणा है ।
तिर्यवों की अपेक्षा सव से कम अशून्यकाल है । चारह मुहूर्त्त का विरह होता है, इसलिए शून्यकाल कम है ।
- तिर्यच पंचेन्द्रिय की अपेक्षा अशून्यकाल वारह मुहर्त्त 'है, तीन विकलेन्द्रिय का अनन्तमुहूर्त्त का है और पांच समूर्छिम तियेचों की अपेक्षा अशून्यकाल है ही नहीं । एकेन्द्रिय की अपेक्षा से भी अशून्यकाल नहीं होता, मिश्रकाल ही रहता है।
पृथ्वीकार्य आदि में भी असंख्य जीव उत्पन्न होते हैं,