Book Title: Bhagavati Sutra par Vyakhyan
Author(s): Shobhachad Bharilla
Publisher: Sadhumargi Jain Shravak Mandal Ratlam

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Page 344
________________ श्रीभगवती सूत्र [६८३ ] उत्तर-गौतम ! सर्वस्तोको मनुष्यसंसारसंस्थानकालः, नैरयिकसंसारसंस्थानकालोऽसंख्येयगुणः, देवसंसारसंस्थानकालोऽसंख्येयगुणः, तिर्यग्-योनिकसंसारसंस्थानकालोऽनन्तगुणः । मूलार्थ-प्रश्न-भगवन् ! अतीतकाल में आदिष्टनारक आदि विशेषण-विशिष्ट जीवों का संसार-संस्थानकाल कितने प्रकार का कहा गया है ? उत्तर-गौतम! संसार-संस्थान का काल चार प्रकार का कहा है, वह इस प्रकार है:-नरयिकसंसारसंस्थानकाल तिर्यचसंसारसंस्थानकाल, मनुष्यसंसारसंस्थान काल और देवसंसारसंस्थान काल । . प्रश्न-भगवन् ! नैरयिकसंसारसंस्थान काल कितने प्रकार का कहा गया है ? ___ उत्तर-गौतम! तीन प्रकार का कहा है, वह इस प्रकार शून्यकाल, अशून्यकाल और मिश्रकाल । ____ प्रश्न-भगवन् ! तिर्यंच संसारसंस्थानकाल कितने प्रकार का कहा है ? उत्तर-गौतम ? दो प्रकार का कहा है, वह इस

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