Book Title: Be Sanskrit Stavan Author(s): Dharmkirtivijay Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 2
________________ [82] रजतमयकलशशरदमलजलधरशरत् प्रगतमलधवलकरगगनगजस्यशसम् । अचलतरपरमपदलनयकरमरजस प्रथममनवरतमवनमत शमदमधरम् ॥५॥ कमलभवकमलशयनगरहरशरर्भव प्रवरलसदमरमददमनपरमदनहम् । समसमवसरणवरवरणगतमतमसं प्रथममनवरतमवनमत शमदमधरम् ॥ ६ ॥ प्रबलतमजवनगमपवनपरवशचलत् फलददलचपलतरकरणहयवशकरम् । प्रणतजनजननजरमरण भवभयहरं प्रथममनवरतमवनमत शमदमधरम् ॥७॥ स्वजनधनकनकहयपदगमदकलगज Jain Education International त्यजनपरमवतमसहरणदशशतकरम् । करणरणरणकभरशरभनवजलधरं प्रथममनवरतमवनमत शमदमधरम् ॥ ८ ॥ चरणसरवकरणगतदशकहतहयवचः प्रकटकरवचनमयसमयधरगणधरम् । सततमशरणकजनशरणपदशतदलं प्रथममनवरतमवनमत शमदमधरम् ॥ ९ ॥ असंमशमभवनसममशमहयवनमहं कलहवनदहनशमसजलनवजलधरम् । कपटनटनटनसमघटनभवगतरसं प्रथममनवरतमवनमत शमदमधरम् ॥ १० ॥ कलशयवचमरशरमकरवररथपद ध्वजनपदकमलतलललनरतशतमखम् । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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