Book Title: Banarasivilas aur Kavi Banarsi ka Jivan Charitra
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granth Ratnakar Karyalay

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Page 358
________________ er en korte tatouage des intentar tortor etaterte retetet te te thote tataterting जैनग्रन्थरत्नाकरे Xxtite Attutitutet-ttatokterkakkakkakakakukkaketkuktak Ankitkutiktatuttitty राग,बरवा। बालम तुहुँ तन चितवन गागरि फूटि। . अचरा गौ फहराय सरम गै छुटि, बालम ॥ १.॥ हूं तिक रहूं जे सजनी रजनी घोर 1. घर करकेड न बाने चहुदिसि चोर, बा० ॥२॥ पिउ'सुधियावत वनमें पैसिउ पेलि । छाडउ राज डगरिया भयउ अकेलि, वा० ॥ ३ ॥ संबरी सारदसामिनि औ गुरु भान । कछु बलमा परमारथ करों वखान, वा० ॥ ४॥ . काय नगरिया भीतर चेतन भूप। . .. . करम लेप लिपटा बल ज्योति स्वरूप, वा० ॥५॥ दर्शन ज्ञान चरणमय चेतन सोय। पियरा गरुव सचीकन कंचन होय, बा० ॥ ६॥ . चेतन चित अवधार सुगुरु उपदेश । कछु इक जागलि ज्योति ज्ञान गुन लेस, वा० ॥ ७ ॥ अथिररूप सब देखिसि छिन वैराग । चेतन आपुहि आप वुझावै लाग, बा० ॥ ८॥ . चेतन तुहु जनि सोबहु नींद अघोर। । चार चौर घर मूंसहि सरवस तोर, बा० ॥९॥ चेतन तुई वनसावंज कोलकिरात। .; निसिदिन करै अहेर अचानक घात, या० ॥१०॥ katrkutxt.ttuttit-t-takat.k.kok

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