Book Title: Atthpahud
Author(s): Kundkundacharya, Jaykumar Jalaj, Manish Modi
Publisher: Hindi Granthratna Karyalay

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Page 134
________________ दर्शन, संयम, लेश्या, भव्यत्व, सम्यक्त्व, संज्ञी और आहारक । रक्षण : धर्मात्मा को धर्म से डिगता देखकर उसे धर्म में स्थिर करना । स्थितिकरण | वस्त्र के पाँच प्रकार : अण्डज अर्थात् रेशम से बना, बोंडुज अर्थात् कपास से बना, रोमज अर्थात् ऊन से बना, वल्कलज अर्थात् वृक्ष की छाल से बना और चर्मज अर्थात् पशुओं के चर्म से बना । वैयावृत्त्य के दस भेद : आचार्य, उपाध्याय, तपस्वी, शैक्ष (शिष्य), ग्लान (रोगी), गण, कुल, संघ, साधु और मनोज्ञ इनकी वैयावृत्ति के भेद से वैयावृत्त्य (गुणी व्यक्ति के दुःख में उसकी सेवा करना) के दस भेद । षट्काय जीव : स्थावर जीवों के पाँच (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और वनस्पति काय प्रकार) तथा त्रस जीव | इस प्रकार काया की दृष्टि से षट्काय जीव । सात तत्त्व : जीव, अजीव, आस्त्रव, बन्ध, संवर, निर्जरा और मोक्ष | 133

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