Book Title: Atthpahud
Author(s): Kundkundacharya, Jaykumar Jalaj, Manish Modi
Publisher: Hindi Granthratna Karyalay
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गाथा : आरम्भिक शब्द गाथा क्र. गाथा : आरम्भिक शब्द गाथा क्र. छह दव्व णव पयत्था- १६ जिणबिंबणाणमयं - १२४ छायालदोसदूसिय- २७१ जिणमग्गे पव्वज्जा- १६२
जिणमुदं सिद्धिसुहं - ३८२ जइ णाणेण विसोहो- ४६४ जिणवयणमोसहमिणं- १७ जइ सणेण सुद्धा
जिणिवयणगहिसदसाराजइ विसयलोलएहि- ४६३ जिणवरचरणंबुरुहं - जरवाहि जम्ममरणं- १३८ जिणवरमएण जोई- ३५५ जरवाहि दुक्खरहिय
जीवविमुक्को सबओजलथलसिहिपवणंबर- ૧૯૧ जीवाजीवविभत्ती
१०२ जस्सपरिग्गहगहणं
जीवाजीवविहत्ती
३७६ जदि पढदि बहू- ४३५ जीवाणमभयदाणंजह कंचणं विशुद्ध
जीवादीसदहणंजहजायरूवरूवं- ४२६ जीवो जिणपण्णत्तो- २३२ जहजायरूवसरिसा- १५६ जीवदया दम सच्चं- ४८२ जहजायरूवसरिसो
जे के वि दव्वसवणा- २६२ जह ण वि लहदि हु लक्खं
जे झायंति सदव्वं- ३५४ जह तारयाण चंदो- ३१४ जेण रागो परे दव्वे- ४०६ जह तारायणसहियं- ३१६ जे दंसणेसु भट्ठा णाणेजह दीवो गब्भहरे
२६३ जे दंसणेसु भट्ठा पाएजहपत्थरोण भिजइ- २६५ जे पावमोहियमई
४१३ जह फणिराओ सोहइ- ३१५ जे वि पडंति य त्तेसिंजह फलिहमणि विसुद्धो- ३८६ जे पुण विसयविरत्ता- ४०३ जह फुल्लं गंधमयं
जे पुण विसयविरत्ता- ४७१ जह मूलम्मेि विणट्टे
जे पंचचेलसत्ता
४१४ जह मूलाओ खंघो
जे रायसंगजुत्ताजह रहणाणं पवरं
२५२ जे बावीसपरीसह- ४८ जह विसयलुल्द विसदो- ४८४ जेसिं जीवसहावो- २३३ 'जह बीयम्मि य दड्ढे- २६६ जो इच्छइ णिस्सरिहुं- ३६१ जह सलिलेण ण लिप्पइ- ३२४ जो कम्मजादमइओ- ३६१ जाए विसय विरत्तो- ४६५ जो कोडिए ण जिप्पइजाणहि भावं पढम- १७६ जो को विधम्मसीलोजाव ण भावइ तच्चं -
जो जाइ जोयणसयं- ३५६ जिणणाणदिट्ठिसुद्धं
जो जीवो भवंतो
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