Book Title: Atmanand Prakash Pustak 030 Ank 10
Author(s): Jain Atmanand Sabha Bhavnagar
Publisher: Jain Atmanand Sabha Bhavnagar

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Page 29
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra श्रीबामणवाडजी तीर्थ, मिति वैशाख वदी ३ गुरुवार संवत् १९९० ता. १३ अप्रेल १६३३ www.kobatirth.org અભિનનૢન પત્રા. ર૪૫ प्रतिदिन अधिकाधिक शुद्ध और पवित्र होकर अनेक जीवात्माओं का आप के द्वारा उपकार हो, यह शासनदेव से प्रार्थना करते हैं । श्रीसंघ की आज्ञा से विनीतभभूतमल चतराजी, दलीचंद वीरचंद, डाह्याजी देवीचन्द, रणछोड़भाई राइचन्द मोतीचन्द, गुलाबचन्दजी ढढ्ढा, आदि संघ के सेवक | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शान्त, दान्त, महंत, अनन्य गुरुभक्त, विद्याप्रेमी, सतत उद्यमी श्रीमान् पंन्यासजी महाराज श्री १०८ श्रीललितविजयजी महाराज की पवित्र सेवा में - अभिनन्दन पत्र एवं उपाधि - समर्पण. श्रीबामणवाडी तीर्थ, मिति वैशाख वदि ३ गुरुवार सं० १६६० ता० १३ अप्रेल १९३३ पंन्यासजी महाराज श्री ! आपश्री ने इस समय तक श्रीगुरुमहाराज की अनन्य भक्ति कर के उन के विद्याप्रचार के प्रयत्नों को अमल में लाने की गरज से अपने खानेपीने और विहार वगैरा के संबंध में अथक परिश्रम उठा कर जैनसमाज की उन्नति के लिये जो कार्य किया है, उस से आकर्षित होकर श्रीबामणवाडजी तीर्थ में श्री नवपदजी की चैत्री ओली पर एवं श्रीअखिल भारतवर्षीय पोरवाल महासम्मेलन के अवसर पर भारतवर्ष के भिन्न २ प्रान्तों से आकर एकत्रित हुआ जैनसंघ आप का अतःकरणपूर्वक आभार मानता है । कठिन तपश्चर्यायुक्त योग जैन समाज की उन्नति के क्षेत्र में आपने जो दिया है, उस का बदला चुकाने में हम असमर्थ हैं, फिर भी आप के उपकार के स्मरणार्थ हम भक्तिपूर्वक " प्रखर - शिक्षा - प्रचारक मरुधरोद्धारक” पद अर्पण करते हैं और शासनदेव से प्रार्थना करते हैं कि आप भविष्य में भी दीर्घ काल तक इसी प्रकार जैन समाज की सेवा करते रहें । श्री संघ की आज्ञा से विनीतभभूतमल चतराजी, दलीचंद वीरचंद, डाबाजी देवीचंद, रणछोड़भाई रायचंद मोतीचंद, गुलाबचंद ढढ्ढा, आदि संघ के सेवक. For Private And Personal Use Only

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