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અભિનંદન પત્રા
पूज्यपाद शासन - प्रभावक पंजाब - वीरकेसरी पंचनद - मरुदेशोद्धारक विद्याप्रेमी प्रातःस्मरणिय बालब्रह्मचारी आचार्य महाराज
श्री १०८ श्रीविजयवल्लभ सूरीश्वरजी की पवित्र सेवा में अभिनन्दन पत्र एवं उपाधि - समर्पण.
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आचार्यश्री !
श्री नवपद चैत्री भोली तथा श्री अखिल भारतवर्षीय पोरवाल महासम्मेलन के अवसर पर भारतवर्ष के भिन्न २ प्रान्तों से श्रीबामणवाड़जी तीर्थ में एकत्र हुआ यह समस्त जैनसंघ आप के विद्याव्यासंग, धर्म और समाज की प्रगति के लिये आप के भगीरथ प्रयास और अज्ञानदशा में पड़े हुए हमारे अनेक भाइयों के उद्धारार्थ आप के द्वारा की हुई महान् सेवाओं का स्मरण कर के आप के प्रति अपना हार्दिक पूज्यभाव व्यक्त करता है !
स्वर्गीय न्यायाम्भोनिधि जैनाचार्य श्रीमद् विजयानन्दसूरीश्वर ( प्रसिद्धनाम श्री आत्मारामजी ) महाराजने अपने अन्तिम अवस्था के समय पंजाब के जैनों के हृदय का दर्द पहचान कर उन को आप के सुपुर्द किया था । तदनुसार आप श्रीगुरुदेव के ध्येय की पूर्ति के लिये अपने जीवन में महान् परिश्रम उठा कर पंजाब में जैनत्व कायम रखने में सफल हुए हो ।
तदुपरांत श्री महावीर विद्यालय की स्थापना कर के तथा श्रीश्रात्मारामजी महाराज के पट्टधर की पदवी को सुशोभित करने की जैन जनता की आग्रहयुक्त विनति को मान कर पंजाब में ज्ञान का झंडा फहरा कर आपने सद्गत गुरु महाराज की आन्तरिक अभिलाषा को पूर्ण किया ।
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आपने गुजरानवाला, वरकारणा, उम्मेदपुर तथा गुजरात-काठियाड़ वगैरह स्थलों में ज्ञानप्रचार की महान् संस्थाओं को स्थापित कर और जगह २ पर जैन समाज में फैले हुए वैमनस्य एवं परस्पर मतभिन्नता आदि को मिटा कर जैन - जनता पर बड़ा भारी उपकार किया है । इतना ही नहीं, किन्तु अज्ञानान्धकार में भटकते हुए जैन बन्धुओं को धर्म का मार्ग बता कर तथा उन में ज्ञान का संचार कर के उन को सचे जैन बनाने में जो भगीरथ श्रम उठाया है उस की हम जितनी कदर करें वह कम है ।