Book Title: Atmanand Prakash Pustak 012 Ank 09
Author(s): Jain Atmanand Sabha Bhavnagar
Publisher: Jain Atmanand Sabha Bhavnagar

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Page 30
________________ આત્માન પ્રકાર વિદ્વાન મુનિરાજ પાસે વંચાવી ઉંચા કાગળ અને સારા ટાઈપ ઉપર છપાવવામાં આવશે. નકલે દરેકની પ૦૦) છપાવતાં તે દરેક મોટા મોટા ભંડારામાં તેમજ આ કાર્યમાં ભાગ લેનાર મુનિરાજોને ભેટ આપવામાં આવશે, તેને માટે એક રકમ પણ એકઠી થયેલ છે, અને તે માટે પ્રયાસ પણ જારી છે. આ કાર્ય ને સતપણે ચાલે તે જૈન જ્ઞાનને ખરેખર ઉદ્ધાર થશે. આવી સંસ્થાનું અસ્તિત્વ ખરેખર આવકારहाय४ छ, આ સંબંધમાં વિશેષ હકીકત જેમ જેમ અમને મળશે તેમ તેમ હવે પછી (भो ) प्रगट ४२वामा मावस. श्री जैन श्वेताम्बर श्री संघ की सेवा में अपील, पाठक महानुभाव ! ___यह तो आपको ज्ञात है कि नार्थ वैस्टर्न प्राविसिस ( संयुक्त प्रान्त ) में एक ही तीर्थ है जो बहुत बडा उत्तम और पूजनीय है । जो दिल्ली के पास मेंरठ जिले में मेरठ से २२ माइल के अन्तर पर है, जिस का प्रसिद्ध नाम 'हस्तिनापुर ' क्षेत्र है, जो अत्युत्तम तीर्थ है। जहां से तीन तीर्थङ्कर (चक्रवर्ती) श्रीशान्तिनाथजी, श्रीकुन्थुनाथजी और श्रीअरनाथजी के चार इकल्याणक, चवन, जन्म, दीक्षा और केवल ज्ञान हुवे हैं अर्थात् तीनों भगवानों के , १२ कल्याणक हुये हैं और वर्तमान कालीन चोवीस तीर्थङ्करो में प्रथम तीर्थडूर श्रीऋषभदेव स्वामी सर्व धर्ममार्गके बताने वाला का प्रथम पारना खरस का १२ मास पश्चात् इसी स्थान पर हुवा था, यहां पर एक बडा प्राचीन मन्दिर श्री जैन श्वेताम्बराम्नाय का ( श्रीशान्तिनाथ भगवान् का) है और वहां एक धर्मशाला भी है एवं एक टोंक भी है, जिसमें श्रीऋषभदेव स्वामी के चरणपादुका है, श्रीशान्तिनाथजी महाराज श्रीकुन्थुनाथजी महाराज, श्रीअरनाथजी महाराज की निशी भी हैं । पञ्जाब में भी इस तीर्थ से पृथक् प्रसिद्ध तीर्थ कोई नहीं है। यह बड़ा उत्तम रमणी स्थान है किन्तु शोक कि हमारे सब भाइयों का अब तक इस ओर पूरा ध्यान नहीं हुवा है, जिस उक्त स्थानमें जीर्णोद्वार की आवश्यकता है, इस समय मन्दिरजी के शिखर का भी मरम्मत होनी अत्यन्तावश्यक है और वेदीजी नई बनने को है, एवं मूल गुमारा, चौक का फरश भी सङ्गमरमर का बनवाना आवश्यक है तथा पुजारी के लिये धर्मशाला

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