Book Title: Arhat Parshva and Dharnendra Nexus
Author(s): M A Dhaky
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 94
________________ 76 Arhat Pārsva and Dharanendra Nexus १५. राज संग्र० मथुरा बी० ६७ आ० २ फु० १० इंच, बी० ७९, आ १ फु० ११ इंच, बी० ७०, बी ७१, बी० ७२, १ फुट ३ इंच। तीर्थंकर मूर्तियाँ, U.P. Historical Society of Uttar Pradesh, Vol. 23. भाग १, २, पृ० ६३, ६४, १९५० । १६. रा० सं० ल० सं० जे० १०० आ० ४५, २८ से० मी० लाल चित्तीदार पत्थर । १७. , जे० ७७ आ १.२० से० मी, ६७ से० मी० ।। १८. २४ फुट ऊँचा स्तम्भ १.१० वर्गाकार स्तम्भ के नीचे चौपहलमध्य अठपहल और ऊपर से १६ पहल आकार है। पश्चिम दिशा में सतह से २.६ भगवान् पार्श्व की २.३ ऊँची बैठी प्रतिमा बनी है। १९. १. रा०सं० म० सं०बी० २६ आ० १"८" रमेशचन्द्र शर्मा, Mathura Museum and Archaeology | २. , २५१ आ० ३-०V.S. Agarwal, JUPH.S,. Vol. 23, pts. 1-2, पृ० ६३, लखनऊ १९५० । ३. तीर्थकर मूर्तियाँ मध्यकाल की पृ०६३ आ० तीन फुट। ४. रा० सं० म० सं० १५०५ वही, पृ० ६४, २.७ इंच। ५. ,, ,, सं० ४०. २८७४ । २ बी० एन० श्रीवास्तव व शिवाधार मिश्र Inventory of Mathura Museum from1939 to date, Museum Archaeologial Bulletin सं० ११.१२, पृ० ९८ । २०. मेरे पास चित्र है। २१. रां० सं० सं० ४८, १८२ Annual Report of Provincial Museum, Lucknow, १९५०, p. 11 । २२. एतनिन्वेदतिदेव जगतत्रयाय, मन्ये नद ननभनमः सुरदुन्दुभिस्तै कल्याण मन्दिरस्तोत्र श्लोक संख्या २५ । २३. बी ६५, आकार २.१० इंच आर०सी० शर्मा Matbura., पृ० ? २४. जे० ८१३, आ० २५, २६ से० मी० । २५. जे० १४१, आ० ५८, ३० से० मी०, भूरा पत्थर । २६. छ ५२.७४ ए, आ० ८०, ३५ से० मी० भूरा पत्थर । २७. ओ०७२, आ०- ५"x१-८", चौड़ा. ४ चौकोर देखिए मेरा लेख, "जिन बिम्बों से सुशोभित राज्य संग्रहालय का एक विशिष्ट मानस्तम्भ" पृ० ६५ खण्ड-२ भग० महा० जय० स्मा० जयपुर १९७२ । २८. जे० ८७७ आ० ३०, ३१ से० मी० भूरा पत्थर । २९. रा० सं० ल० सं० जे० ८५९, आ० ५७, ४४ से० मी०, भूरा रंग का रेतीला पत्थर । ३०. रा० सं० ल० जे० १४३ आ० १.७० से. मी, १.३३ से. मी० ७७ से० मी० मेरा लेख "श्वेताम्बर कलारत्न कंकालीर्क मणिभद्र" पृ० ३७ जयपुर १९८० । ३१. रा० सं० ल० जी० ३१० आ० ४३, २५ से० मी० । मेरः लेख"महोबा की जैन मूर्तियाँ", कैलाश चन्द्र शास्त्री अभिनंदन ग्रन्थ, पृ० ३३ रीवां १९८०। ३२. कल्याण मंदिर स्तोत्र सं० ४३ ज्ञानपीठ पुजांजलि, दिल्ली १९८२ । ३३. जे०, ३१३ आकार ७८.२, २७ से० मी० । वही प्रतिष्ठा सरोद्धार आ० ३ श्लोक ७८ । ३४. रा० सं० ल० सं० जे० ७९४ आ० ६९, २४ से० मी० काले गहरे भूरे रंग का पत्थर । ३५. रा० सं० ल० सं० जे० ८७९ आ० ६४, ३३ से० मी० मटीला सफेद पत्थर । ३६. रा० सं० ल० सं० जी० ३१६ आ०६०, ३६ से० मी० भूरा पत्थर । ३७. Klaus Bruhn, Jaina Images of Devagadh Vana, Leiden 1969, चित्र सं० १९८, २०४, १२६, ४०४, व २३१ अर्थात् मंदिर संख्या ३, ४, १७ व २० तथा दीवाल में । ३८. मंदिर सं० २ के परकोटे की दीवाल पर मेरे संग्रह का चित्र । ३९. ज्योदि प्रसाद जैन, रूहेलखंड कूमायूं और जैन धर्म, पृ० १३.१४ लखनऊ १९७० व पद्मानन्द महाकाव्य १।२६ तथा बी० सी० भट्टाचार्य Jaina Iconography I ४०. C. Sivaramamurti, Panorama of Jaina An, नई दिल्ली १९८३, चित्र ५४६ व १४२ । ४१. कवि वृन्दावनदास-पार्श्वस्तुति । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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