Book Title: Ardhamagdhi Vyakaran
Author(s): K V Apte
Publisher: Shrutbhuvan Sansodhan Kendra
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अर्धमागधी व्याकरण
६) उत्तरपुरस्थिमे दिसीभाए। दाहिणपुरत्थिमे दिसीभाए। पुव्वुत्तरदिसाभाए। ७) सव्वओ समंतेणं। सव्वओ समंता। सव्वओ समंताओ। ८) उभओ पासिं। ९) चउदिसिं। दससु वि दिसासु। दिसोदिसं। दिसोदिसिं। दिसि दिसि। इ) रीतिदर्शक :१) जहिच्छं। जहिच्छाए। २) अवरोप्परपीईए। ३) तुरियतुरियं। ४) मणसा वयसा कायसा। मणेण वायाए काएणं। ५) जहाविहीए। जहोचिएण विहिया। जहुत्तविहिणा। ६) महया इड्डीसक्कारसमुदएणं। ७) केणइ उवाएण। ८) पायाविहारचारेण।
९) सुहं सुहेणं।। दुहं दुहेणं।। जीवं जीवेणं।। उग्गं उग्गेणं।। वारं वारेणं।। मज्झं मज्झेणं।। उरं उरेणं।। तिलं तिलेणं।।
ई) नमस्कार, प्रणाम इत्यादी :
काऊण सिरपणाम। नमिऊण पायकमले। चलणपणामं काऊण। करमलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्ट। पणमइ अंजलिमउलं सिरे काउं। तिपयाहिणी काऊण। कयाओ तिण्णि पयाहिणाओ। तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेइ। आलोए पणामं करेइ। काऊण जिणपणामं। काऊम नमोक्कारं सिद्धाण।
उ) इतर काही :
क) १) अंतेउरस्स पढमा। २) सुहभोगकारणनिमित्तं। ३) अप्पाणं भावेमाणे। ४) पुव्वाणुपुव्विं चरमाणे। ५) गामाणुगामं दूइज्जमाणे। ६) आहेवच्चं कुणमाणे। ७) उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाइं भुंजमाणे। ८) कयत्थं अप्पाणं मण्णमाणे। ९) कुटुंबजागरियं जागरमाणे। १०) धम्मजागरियं जागरमाणे। ११) सवणपरंपरेण। सवणपरंपराए। कण्णपरंपराए। १२) भवियव्वयावसेणं। १७) एवं वुत्ते समाणे। इमीसे कहाए लढे समाणे। इमीसे कहाए लट्ठस्स समाणस्स। १८) उच्चट्ठाणट्ठिएसु गहेसु।

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