Book Title: Aprashakit Aramsohakaha Ek Parichay Author(s): Prem Suman Jain Publisher: Z_Bhanvarlal_Nahta_Abhinandan_Granth_012041.pdf View full book textPage 6
________________ सगी पुत्री को उसका पद दिलाने की चाह दोनों में समान उसकी सौतेली मां उसे उत्सव में नहीं जाने देती और है, यद्यपि तरीकों में अन्तर है। सौतेली माता द्वारा अपनी पुत्रियों को सजाकर वहाँ भेजती है। किन्तु सौतेली पुत्री की अवमानना करने की घटना सुगन्धदशमी राजकुमार अन्ततः सिन्ड्रेला को ही अपनी रानी बनाता कथा के संस्कृत (सन् 1472), गुजराती (1450), है। जर्मन कहानी 'अश्पुटेल' में जो सौतेली लड़की मराठी (१८वीं सदी) एवं हिन्दी ( 1750) संस्करणों है वह बिल्कुल आरामशोभा से मिलती-जुलती है। हैजल में भी प्राप्त होती है। वृक्ष आरामशोभा के जादुई कुंज की तरह मददगार के रूप में प्रस्तुत किया गया है। अन्ततः 'अश्पुटेल' को सौतेली माता का अपनी पुत्री को रानी बनाने के राजकुमार अपनी रानी बना लेता है। 12 इस तरह अभी निष्फल प्रयास एवं सौतेली पुत्री को सताने की घटनाएं आरामशोभा कथा की भारतीय एवं विश्वसाहित्य की विश्वसाहित्य में भी प्राप्त होती हैं। डा. जैन ने दो कथाओं के साथ तुलना करने से और भी नये तथ्य सामने कथाओं का उल्लेख किया है / फ्रेंच कहानी 'सिन्ड्र ला' में आ सकते हैं। 11 द स्लीपिंग ब्यूटी एण्ड अदर फेयरी टेल्स फ्राम द ओल्ड फ्रेन्च ( रिटोल्ड बाइ ए. टी० विलचर-कोडच ) / 12 जेकब लुडविक कार्लग्रिम, दि किंडर उण्ड हाउस मारवेन, ( अंग्रेजी अनुवाद : ग्रिम्सटेल्स ) / 86 ] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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