Book Title: Apbhramsa Kathakavya evam Hindi Premakhyanak
Author(s): Premchand Jain
Publisher: Sohanlal Jain Dharm Pracharak Samiti

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Page 364
________________ ३५० : अपभ्रंश कथाकाव्य एवं हिन्दी प्रेमाख्यानक छन्द पयोनिधि भाषा : हरदेवदास. छिताई-वार्ता : संपा०-माताप्रसाद गुप्त, नागरी प्रचारिणी सभा, काशी, ___ वि० सं० २०१५. जायसी-ग्रन्थावली : संपा०-आचार्य रामचन्द्र शुक्ल, नागरी प्रचारिणी . सभा, काशी, १९२४. ढोला-मारू रा दोहा : रामसिंह, सूर्यकिरण पारीक · आदि, नागरी प्रचारिणी सभा, काशी, १९३४. तसव्वुफ अथवा सूफीमत : चन्द्रबली पाण्डेय.. दामोचरित : संपा०-नर्मदेश्वर चतुर्वेदी, परिमल प्रकाशन, प्रयाग.. पदमावत : जायसी, संपा०-वासुदेवशरण अग्रवाल, साहित्य-सदन, झाँसी. पृथ्वीराज राठौर : संपा०-कृष्णशंकर शुक्ल, साहित्य-निकेतन, कानपुर.. प्राचीन भारत में नगर तथा नगरजीवन : डा० उदयनारायण राय. प्राचीन काव्यों की रूपपरम्परा : अगरचन्द नाहटा. पुराणों की अमर कहानियाँ : रामप्रताप त्रिपाठी. ' ब्रज लोकसाहित्य का अध्ययन : डा. सत्येन्द्र. भारतीय प्रेमाख्यान काव्य : डा. हरिकान्त श्रीवास्तव. भारतीय संस्कृति में जैनधर्म का योगदान : डा० हीरालाल जैन. मधुमालती : मंझन, संपा०-डा० माताप्रसाद गुप्त, मित्र प्रकाशन, इलाहा ___बाद, १९६१. मधुमालती : मंझन, संपा-शिवगोपाल मिश्र, हिन्दी-प्रचारक, वाराणसी, . १९५७. मधुमालती-वार्ता : चतुर्भुजदास, संपा०-डा० माताप्रसाद गुप्त. मध्यकालीन धर्मसाधना : डा० हजारीप्रसाद द्विवेदी.. मध्ययुगीन हिन्दी साहित्य का लोकतात्विक अध्ययन : डा. सत्येन्द्र, मृगावती : कुतवन, संपा०-डा० शिवगोपाल मिश्र, हिन्दीसाहित्य सम्मेलन, प्रयाग. यशस्तिलक का सांस्कृतिक अध्ययन : डा० गोकुलचन्द्र जैन, पार्श्वनाथ • _ विद्याश्रम शोध संस्थान, वाराणसी. रसरतन : पुहकर, संपा०-डा. शिवप्रसाद सिंह, नागरी प्रचारिणी सभा, कांशी.

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