Book Title: Apbhramsa Kathakavya evam Hindi Premakhyanak
Author(s): Premchand Jain
Publisher: Sohanlal Jain Dharm Pracharak Samiti

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Page 367
________________ सहायक ग्रंथ-सूची : ३५३ वैदिक इण्डेक्स, भाग १. शतपथब्राह्मण. श्वेताश्वतरोपनिषत्. श्रीमद्भागवत : गीताप्रेस, गोरखपुर. सरस्वतीकण्ठाभरण : भोजराज. साहित्य-दर्पण : आचार्य विश्वनाथ, चौखम्भा संस्कृत सिरीज, वाराणसी. हर्षचरित : बाण, निर्णयसागर प्रेस, बम्बई, १९१८. अपभ्रंश-प्राकृत-ग्रन्थ करकंडचरिउ : मुनि कनकामर, संपा०-डा० हीरालाल जैन, प्रथम संस्करण, जैन सिरीज, कारंजा, १९३४; द्वितीय संस्क रण, भारतीय ज्ञानपीठ, काशी, १९६४. कामकन्दलाख्यान : आनन्दधर, संपा०-एम० आर० मजूमदार. कीतिलता और अवहट्टभाषा : डा० शिवप्रसाद सिंह, हिन्दी-प्रचारक, वाराणसी. कुवलयमाला : उद्योतनसूरि, संपा०-डा० ए० एन० उपाध्ये, सिंघी जैन - ग्रन्थमाला, भारतीय विद्याभवन, बम्बई, वि० सं० २०१५. गोम्मटसार : आचार्य नेमिचन्द्र, रायचन्द्र शास्त्रमाला, बम्बई, १९२७-२८. जम्बूसामिचरिउ : वीर कवि, संपा-डा० वी० पी० जैन, भारतीय . ज्ञानपीठ, काशी, १९६७. ' जसहरचरिउ : पुष्पदन्त, संपा.-पी० एल० वैद्य, जैन सिरीज, कारंजा, दशवकालिक-सूत्र : हरिभद्र-वृत्ति, मनसुखलाल महावीर प्रिंटिंग वर्क्स, बम्बई. धूर्ताख्यान : हरिभद्रसूरि, संपा०-डा० ए० एन० उपाध्ये, सिंघी जैन __ ग्रन्थमाला, बम्बई, १९४४. . णायकुमारचरिउ : पुष्पदन्त, संपा०-डा० हीरालाल जैन, जैन सिरीज, कारंजा, १९३३. पउमचरिउ : स्वयंभू, संपा०-डा० एच० सी० भायाणी, भारतीय विद्या भवन, बम्बई.

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