Book Title: Apbhramsa Kathakavya evam Hindi Premakhyanak
Author(s): Premchand Jain
Publisher: Sohanlal Jain Dharm Pracharak Samiti

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Page 381
________________ पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी द्वारा मान्य पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान देश का प्रथम एवं अपने ढंग का एक ही जैन शोध-केन्द्र है। यह गत ३६ वर्षों से जेनविद्या की निरन्तर सेवा करता आ रहा है। इसके तत्त्वावधान में अनक छात्रों ने जैन विषयों का अध्ययन किया है एवं यूनिवर्सिटी से विविध उपाधियाँ प्राप्त की हैं। अब तक २७ विद्वानों ने पो-एच०डी० एवं डी० लिट के लिए प्रयत्न किया है जिनमें से अधिकांश को सफलता प्राप्त हुई है। वर्तमान में इस संस्थान में ७ शोधछात्र पी-एच० डी० के लिए प्रबन्ध लिखने में संलग्न हैं। प्रत्येक शोधछात्र को २५० रु० मासिक शोधवृत्ति दी जाती है। एम०ए० में जैनदर्शन का विशेष अध्ययन करनेवाले प्रत्येक छात्र को ५० रु० मासिक छात्रवृत्ति देने को व्यवस्था है। संस्थान से अब तक १८ महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ प्रकाशित हो चुके हैं। जैनविद्या का मासिक 'श्रमण' नियमित प्रकाशित होता है। __पार्श्वनाथ विद्याश्रम की स्थापना सन् १९३७ में हुई थी। इसका संचालन अमृतसरस्थित सोहनलाल जैनधर्म प्रचारक समिति द्वारा होता है। यह समिति एक्ट २१, सन् १८६० के अनुसार रजिस्टर्ड है तथा इसे इन्कमटैक्स एक्ट, सन् १९६१ के सेक्शन ८८ व १०० क अनुसार आयकर-मुक्ति-प्रमाणपत्र प्राप्त है। पाश्र्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान का निजी विशाल भवन है जिसमें पुस्तकालय, कार्यालय, अध्यक्षकक्ष, सहायककक्ष, छात्रकक्ष आदि हैं। अध्यक्ष एवं अन्य कर्मचारियों के निवास के लिए उपयुक्त आवास हैं। शोधछात्रों के लिए सर्व सुविधाओं से युक्त आधुनिक ढंग का छात्रावास है। जल को आपूर्ति के लिए संस्थान का निजी नलकूप है।


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