Book Title: Apbhramsa Kathakavya evam Hindi Premakhyanak
Author(s): Premchand Jain
Publisher: Sohanlal Jain Dharm Pracharak Samiti

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Page 374
________________ ३६० : अपभ्रंश कथाकाव्य एवं हिन्दी प्रेमाख्यानक शब्द २०५ २०१.. जल्ह जसवई .. जसहरचरिउ जायसी जालन्धर जितशत्रु जिनदत्त जिनदत्ता जीम जैसलमेर पृष्ठ शब्द ४२ त्रिभुवनरति २३५ त्रिलोचना २३३,३११ थूलिभद्दफागु ८२ दंतकथा २४० दण्डरासक २२९ दण्डी २५९ दर्पण २५९ दशकुमारचरित - १७६ दाऊद ३४ दामो १७७ दामोदर ३४ दूर्वाकन १७५. जोय टंडक -२३९ १७६ देवकी ४२ १० ढोला . ८२ urthinus libanill. 1: २०९ . . , ढोला-मारू रा दोहा णायकुमारचरिउ तकनीक तपदानकथा तरुणी तारनसाह ताराचन्द तालारासु तिथि-दोहद तिलकमती तीर्थंकर तीर्थाख्यान • ४९ २८६ २२९ २३०,२३१ २२९ ९७ देवगिरि . ३१ देवपाल ३१ देशाख्यान २३७,३१२ दोहद ९७ द्वारिका २१० 'द्वीप-वर्णन धनदत्त धनपाल धनश्री धनसेन धनावह धरनीधर धरमपुर धर्मकथा धर्मघोष ३३६ धाडीवाहन १७६ धारा २५९ धाहिल ३४ नंददास २२९ २२९ १९५,२१६ २१० २२९. तुकबन्दी २५१ तेजमती तोड़ा २२९

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