Book Title: Apbhramsa Abhyas Uttar Pustak
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 158
________________ अपमत्ता गिहकज्जहिं वि कुसला नन्ना नहीं एरिसा इमाहे इसकी सासू सासू ऐसी निब्भगा एरिसीए भत्तिवच्छलाए पुत्तवहूए धम्मकज्जि पेरिज्जमाणावि (अपमत्त-अपमत्ता) 1/1 वि अप्रमादी [(गिह)-(कज्ज) 7/2] गृहकार्यों में 'अव्यय (कुसल-कुसला) 1/1 वि कुशल [(न)+(अन्ना)] न (अव्यय) अन्ना (अन्न) 1/1 अन्य (एरिस) 1/1 वि ऐसी (इमा) 6/1 स (सासू) 1/1 . (निब्भग) 1/1 वि अभागी (एरिसी) 3/1 वि [(भत्ति)-(वच्छला) 3/1 वि] भक्ति प्रेमी (पुत्तवहू) 3/1 पुत्रवधू द्वारा अव्यय भी [(धम्म)-(कज्ज) 7/1] धर्म कार्य में [(पेरिज्जमाण)+(अवि)] • [(पेरिज्जमाण) कर्म वकृ] प्रेरित किए जाते हुए अवि (अव्यय) . (धम्म) 2/1 धर्म अव्यय (कुण) व 3/1 सक करती है (इम) 2/1 स (सुण) संकृ सुनकर [(बहू)-(गुण)-(रंज) भूकृ1/1] बहू के गुणों से प्रसन्न हुई (ता) 6/1 स (मुह)5/1 मुख से (धम्म) 1/1 (पत्त) भूकृ 1/1 अनि प्राप्त किया गया [(धम्म)-(पत्ति) 7/1] धर्म लाभ में (छम्मास) 1/1 छ: मास (जाय) भूक 1/1 अनि अव्यय इसलिए (पुत्तवहू) 3/1 पुत्रवधू द्वारा - (छम्मास) 1/1 छः मास (कह) भूकृ 1/1 . कहे गये (त) 1/1 स (जुत्त) 1/1 वि युक्त (है) ण नहीं इसको उसके । धर्म सुणेवि .बहुगुणरंजिआ 'ताहे मुहहे धम्मो पत्तो धम्मपत्तीहिं छम्मासा जाया . तओ. पुत्तवहुए छम्मासा कहिआ अपभ्रंश अभ्यास उत्तर पुस्तक 145 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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