Book Title: Apbhramsa Abhyas Uttar Pustak
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 159
________________ B肏 पुठु तेण वि उत्तु रत्तिहिं समय-धम्मोवएसपराए भज्जाए संसारासारदंसणें भोगविलासहं च Mishr परिणामदुहा एव सारु त्ति उवदिठु 2. सव्वण्ह-धम्माराहगो जाउ अज्जु पंचवासा जाया तओ बहुए मई उस्सेव 146 Jain Education International (पुत्त) 1 / 1 अव्यय (पुट्ठ) भूकृ 1 / 1 अनि (त) 3 / 1 स अव्यय (उत्त) भूक 1/1 अनि ( रत्ति) 7/1 (भज्जा) 3 / 1 [(संसार) + (असार) - (दंसणें ) ] [(संसार) - (असार) - (दंसण) 3 / 1] [ ( भोग) - ( विलास ) 6 / 2] अव्यय भी पूछा गया उसके द्वारा भी [ (समय) - (धम्म) + (उवएस ) - ( पराए) ] [(समय) - (धम्म ) - ( उवएस ) - ( पर) 3 / 1 वि] कहा गया रात्रि में For Personal & Private Use Only सिद्धान्त और धर्म के उपदेश में लीन पत्नी के द्वारा संसार में असार के दर्शन से भोग विलास के और [(परिणाम) - (दुह) - (दाइत्तण) 3 / 1 ] परिणाम के दुःखदाईपन से [(वासा) - (णई) - (पूर) - (तुल) - ( जुव्वणत्तण) 3 / 1 ] वर्षा नदी के जल प्रवाह के समान यौवनावस्था के कारण और अव्यय (देह) 6/1 देह की [(खण) - (भंगुरत्तण) 3 / 1] क्षणभंगुरता (जय) 7/1 (धम्म) 1/1 अव्यय (सार) 1 / 1 अव्यय (उवदिट्ठ) भूकृ 1/1 अनि ( अम्ह) 1 / 1 स जगत में धर्म ही सार (है) इस प्रकार बताया गया मैं [(सव्वण्ह) - (धम्म) - (आराहग) 1 / 1] सर्वज्ञ के धर्म का आराधक (जाअ) भूकृ 1/1 अनि बना अव्यय [(पंच) - (वास) 1/2] (जाय) भूक 1/2 अनि अव्यय (बहू) 3/1 (अम्ह) 2/1 स (उद्दिस्स) संकृ आज पाँच वर्ष हुए इसीलिए बहू द्वारा मुझको लक्ष्य करके अपभ्रंश अभ्यास उत्तर पुस्तक www.jainelibrary.org

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