Book Title: Anusandhan 2010 12 SrNo 53 Author(s): Shilchandrasuri Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad View full book textPage 9
________________ डिसेम्बर २०१० पोसेइ सुहे भावे खएइ असुहाइँ नत्थि संदेहो । छिन्नइ नर-तिरिय-गई भन्नइ इह पोसहो तेण ॥१॥ एउ त्रीजउं शिक्षाव्रतु ॥ [पत्र ३२२ ख] अतिथिसंविभागु । तिथि पर्व उच्छव जेहिं परिहरिया । ताहं सूधउं फासूवेसणउं दाणु दीजइ । तिथि-पर्वोत्सवाः सर्वे त्यक्ता येन महात्मना । अतिथिं तं विजानीयात् शेषमभ्याग]तं विदुः ॥१॥ एउ चउथउं शिक्षाव्रतु ॥ दसे भेदे यति-धर्म । बारहे भेदे श्रावकउं धर्म । द्विविध ही धर्म सम्यक्त्व-मूलु । संम्यक्त्व किसउ भणिइ । अरहं देवो गुरुणो सुसाहुणो जिण-मयं मह पमाणं । इच्चाइ सुहो भावो सम्मत्तं बिंति जग-गुरुणो ॥१॥ अरहंतु देवता किसउ भणियइ । चउतीस-अतिसय-संपूर्ण । अष्टादशदोष-विवर्जितु । अष्ट-महाप्रातिहार्यसंजुगुतु । सर्वजु । चउरो जम्मप्पभिई इक्कारस केवले समुप्पन्ने । [पत्र ३२३ क] नवदस य देव-जणिए चउतीसं अइसए वंदे ॥ अन्नाण-कोह-मय-माण-लोह-साया रई य अरई य । निद्दा-सोय-अलियवयण-चोरिया मच्छर-भया य ॥ पाणिवह-पेम कीडा-पसंग-हासा य जस्स ए दोसा । अट्ठारस वि पणट्ठा नमामि देवाहिदेवं तं ॥ किंकिल्लि-कुसुम-वुट्ठी दिव्वज्झुणि-चामरासणाइं च । भाम(व)लय-भेरि-छत्तं जयंतु जिण-पाडिहेराई ॥ अतीत-अनागत-वर्तमान-वेत्ता इसउ देवता आराधियइ वांदियइ । पूजियई । आगम-विधि ॥ तिन्नि निसीही तिन्नि य पयाहिणा तिन्न चेत्त(व)य-पणामा । तिविहा पूया य तहा अवत्थतिय-भावणं चेव ॥१॥ ति-दिसि-निरिक्षण विरई तिविहं भूमी-पमज्जणं चेव । वन्नाइ-तियं मुद्दा [पत्र ३२३ ख]-तियं [च] तिविहं च पणिहाणं ॥२॥Page Navigation
1 ... 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 ... 187