Book Title: Anusandhan 2001 00 SrNo 18
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
View full book text
________________
275
डॉ. हरिवल्लभ भायाणीनां प्रकाशित मुख्य पुस्तको
संपादन तथा अध्ययन : संस्कृत : लीलावती-सार (१९८३) प्राकृत
: संखित्त-तरंगवई-कहा (१९७९). तारागण (१९८७).
वसुदेवहिंडी-मध्यम खंड-भाग १ (रमणीकभाई शाह
साथे, १९८८) अपभ्रंश : पउमचरिय (मधुसूदन मोदी साथे, १९४८). पउमचरिउ
भाग-१-२-३ (१९५३, १९६१). नेमिनाहचरिउ-भाग १-२ (मधुसूदन मोदी साथे), (१९७०-७१).
सनतुकुमार चरिउ (म.मोदी साथे, १९७२). जूनी गुजराती : मदनमोहना (१९५५). त्रण प्राचीन गुर्जर काव्यो
(१९५५). सिंहासन बत्रीशी (१९६०). दशम स्कंध (उमाशंकर जोषी साथे) भाग १-२ (१९६६, १९७२). प्राचीन गुर्जर काव्य संचय (अगरचंद नाहटा साथे, १९७५). रत्नचूड रास (१९७७). शीलोपदेशमाला - बालावबोध (गीताबहेन, रमणीकभाई शाह साथे, १९८०). नंदबत्रीशी (कनुभाई शेठ साथे, १९९०).
पांडवला (१९९१). कृष्णबालचरित्र (१९९३). भाषा अने व्याकरणः अपभ्रंश व्याकरण (१९६१, १९७१,१९९३). अपभ्रंश
लेंग्विज अँड लिटरेचर (१९९०). सम आस्पेक्टस
ऑव देश्य प्राकृत (१९९२). थोडोक व्याकरण विचार (१९६९, १९७१, १९७८). व्युत्पत्तिविचार (१९७५).
गुजराती भाषानुं जैतिहासिक व्याकरण (१९८८).. प्रकीर्ण : मध्यकालीन गुजराती कथाकोश (१९९१). उपरांत
केटलाक विवेचन लेख-संग्रहो, लोकसाहित्यनां संपादनो अने अध्ययनो, संस्कृत-प्राकृत कृतिओना गुजराती अनुवादो, संशोधन लेख-संग्रहो (अंग्रेजी), मुक्तकसंग्रहो वगेरे.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292