Book Title: Anusandhan 2001 00 SrNo 18
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 285
________________ 278 अवधू आनंदघननी आध्यात्मिक शब्दचेतना : संगोष्ठी ता. १३ तथा १४ ओक्टोबर २००१ शनि-रवि सूरत शहेरमा आचार्य श्री ओंकारसूरि आराधना भवनना आंगणे श्री जैन श्वे. मूर्तिपूजक तपागच्छ गोपीपुरा संघ द्वारा मध्यकाळना महायोगी 'अवधू आनंदघनजीनी आध्यात्मिक शब्दचेतना' ए विषय उपर सर्व प्रथमवार द्विदिवसीय एक सरस-सफळ संगोष्ठी, आयोजन जैनाचार्य श्रीविजयसूर्योदयसूरिजी म.ना सान्निध्यमां थयु. आ समग्र संगोष्ठीना प्रेरक हता आचार्य श्री विजयशीलचन्द्रसरिजी म. अने स्वप्नदृष्टा संयोजक हता प्रा. श्री लाभशंकर पुरोहित. आ समग्र संगोष्ठीनो उपक्रम बे दिवसमां चार सत्र द्वारा करवामां आव्यो. तेमां प्रथम सत्र संगोष्ठीनी पीठिकारूप हतुं; जेमां आ संगोष्ठीना उपक्रमनो हेतु, तेनुं महत्त्व वगेरे उपर प्रकाश पाडवामां आव्यो... संगोष्ठीनो प्रारंभमां पूज्य आचार्यश्रीनुं मंगलाचरण, श्रीजयदेव भोजक द्वारा पदगान अने नानी बाळिकाओना हस्ते आनंदघनजीना चित्र आगळ दीप प्रागट्य करवामां आव्युं. त्यार बाद संगोष्ठीनी सफळतामां जेमनुं महत्त्वपूर्ण योगदान रह्यं ते आराधना भवनना मुख्य ट्रस्टीश्री सेवंतीलाल ए. महेताए आवकार प्रवचन आप्यु. जेमां सूरतनी साहित्यिक अने धार्मिक गरिमाने याद करवा साथे पोताना संघ-आंगणे थयेला आवा दुर्लभ आयोजन बदल आनंद व्यक्त को अने आमंत्रित सघळा वक्ता अने श्रोता विद्वानोने हृदयपूर्वक आवकार आप्यो. त्यार बाद पू.आचार्य श्री विजयशीलचंद्रसूरिजी म.ओ पोताना प्रवचनमां परंपरा प्राप्त प्रसंगना निर्देश द्वारा आनंदघनजीना जीवन-समय विशे विद्वानोमां प्रवर्तती धारणा सामे प्रश्नार्थ मूकीने आ संगोष्ठी आनंदघनजीना आध्यात्मिक पासाने उघाडवा साथे ऐतिहासिक दृष्टिए पण कंईक निष्कर्ष आपनारी नीवडे तेवो मोघम संकेत कर्यो हतो. . श्री लाभशंकर पुरोहिते संगोष्ठीना आयोजननो मुख्य हेतु समजावता कडं के "शब्दने ज मात्र पामवा जेवा विद्यापंडितोना ग्रंथसंशोधन के प्रस्तावना लेखन जेवं आ आयोजन न बनी रहेदूं जोईए. परंतु, व्याकरण, संगीत-के कोरा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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