Book Title: Anusandhan 2001 00 SrNo 18
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 284
________________ 277 (६) पांचमो अंक भगवान महावीरदेवना २६००मा जन्मकल्याणक-विशेषांक तरीके प्रगट थयेल छे. तेनो छठ्ठो अंक पण प्रगट थई चुक्यो छे. प्राप्तिस्थान उपर मुजब. मुनिराज श्री जंबूविजयजी द्वारा संशोधित-संकलित ग्रंथो-- १. श्रीअनुयोगद्वारसूत्र चूर्णि भाग १ तथा २ २. जेसलमेर भंडारनुं विस्तृत सूचिपत्र (प्रका. बी.एल.इन्स्टिट्यूट, दिल्ली) ३. आ.रामचन्द्र-गुणचन्द्र कृत 'द्रव्यालङ्कार' (प्र. एल.डी.इन्स्टिट्यूट, अमदावाद) आ ग्रंथोनुं ताजेतरमा प्रकाशन थयुं छे. ज्ञानसाराष्टक उपर श्रीदेवचन्द्रजी-विरचित 'ज्ञानमंजरी' टीका, विविध हस्तप्रतिओने आधारे संपादन, साध्वी श्रीदिव्यगुणाश्रीजी द्वारा थई रह्यु (७) गुजरातना मूर्धन्य कलाकार स्व. श्रीवासुदेव स्मार्तना 'दक्षिण गुजरातनां जैन मंदिरोनी काष्ठचित्रकला'- विषयक एक समृद्ध कलाग्रंथ, श्री जगदीप स्मार्तना संपादन हेठळ तैयार थई रह्यो छे. सूरतना आचार्यश्री ॐकारसूरि आराधनाभवन-ग्रंथावलिमां तेनुं प्रकाशन थनार छे. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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