Book Title: Anusandhan 2001 00 SrNo 18
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 281
________________ 274 नोंध : ता. १८-११-०१ना जयंतभाईना पत्रमां, तेमणे स्मृति-अंकना आयोजन विशे जे सूचन आप्युं छे, तेनो अमल प्रस्तुत अंकमां करवानुं मारा माटे अशक्य हतुं. परंतु तेमनी पण विदाय थई, पछी एक स्फुरणा थई के भायाणी-कोठारीना साहित्य-प्रदान- समग्रलक्षी मूल्यांकन करतो एक परिसंवाद करवो; तेमां ते ते विषयना अभ्यासी मित्रो पासे सरस अभ्यासलेखो कराववा; अने पछी ते लेखोनो संचयग्रंथ प्रकाशित करवो. आ विचार, सद्भाग्ये, अमलमां आववानो छे, अने आचार्य श्रीविजयप्रद्युम्नसूरिजीना सांनिध्यमां, अमदावादमां, एक त्रिदिवसीय परिसंवाद आगामी नवेम्बरमा थनार छे. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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