Book Title: Antkruddashanga Sutram Author(s): Ghasilal Maharaj Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti View full book textPage 5
________________ . . m: ४६ ॥ अन्तकृतदशाङ्गसूत्र की विषयानुक्रमणिका ॥ अनुक्रमाङ्क विषय - पृष्ठसंख्या ४३ जालिकुमारादि का वर्णन। ..... . १२७-१३१ । ४४. . . पञ्चम वर्ग में रहे हुए अध्ययनों का नामनिर्देश । १३२-१३३ ४५ अरिष्टनेमि का आगमन, कृष्ण और पद्मा वती का उनके दर्शन के लिये जाना, और द्वारका के विनाश के विषय में कृष्ण और अरिष्टनेमि का संवाद। १३४-१३७ कृष्ण का आध्यात्मिक विचार। . . १३७-२४० वासुदेव की प्रव्रज्या के अभाव का कारण । १४१-१४३ कृष्ण का अपने विषय में प्रश्न । १४२-१४३ अरिष्टनेमि-द्वारा भावी तीर्थंकर के रूप में कृष्ण की । उत्पत्ति का निर्देश। १४३-१४५ कृष्ण-द्वारा द्वारका में लोगों को प्रव्रज्या लेने की घोषणा करने के लिये कौटुम्विक पुरुषों को आदेश । १४५-१४९ . .. .. . कौटुम्बिकों द्वारा कृष्ण की आज्ञा की घोषणा। . १४९ पद्मावती का दीक्षासमारोह । १५०-१५२ पद्मावती का दीक्षाग्रहण करना। . १५२-१५७ पद्मावती की सिद्धिगतिप्राप्ति । १५८-१५९ गौरी-आदि का दीक्षाग्रहण और सिद्धिपद की प्राप्ति । १६०-१६२ मूलश्री-मूलदत्ता का चरित्र । १६२-१६४ षष्ठवर्ग का प्रारंभ। १६५-१६६ मङ्काई और किङ्कम का चरित्र । . . १६६-१७० मुदगरपाणि-यक्षायतन का वर्णन। . १७०-१७२ अर्जुन के दिनकृत्य का वर्णन । १७३-१७४ अर्जुन का पत्नी के साथ पुष्प बीनने के लिये जाना। १७४-१७६ . गौष्ठिक पुरुषों का बन्धुमती के प्रति दुर्भाव । १७६-१७८ गौष्ठिक पुरुषों द्वारा वन्धुमती का शीलध्वंस और अर्जुन का .. - यक्ष के अस्तित्व में अविश्वास । समाप्त। ५६ ५८ ५९Page Navigation
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