Book Title: Anekarth Sangraha Satik Part 02
Author(s): Hemchandracharya, Mahendrasuri, Jinendravijay
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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१८१ .
श्लोकः
पृष्ठं
कलाक.
श्लोकः
पृष्ठ
३९४
३९५
४०८
३९७
४०९
शन्दः यापन योजन रसन रुजन रजनी रजनी राधन रेचनी रोदन रोचनः रोचना लंघन ललाम ललना लाञ्छन लागली लेखन व्यसन व्यञ्जन वमनं वसन वर्जन वर्द्धन वर्द्धनी
शब्दः वितान विज्ञान विलग्न विक्लिन्नः विलीनः विषनः विषघ्ना विच्छिन्न विमान विधान विपन्नः विश्वप्सा विलासी विषयी विषयि व्युत्थान वृजिनः वृजिम वेष्टन
४१०
३९८
४११
४ ई.:. : . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .
४१२
४१३
४०१
४०२
वेदना
४१४
शयन
शमनः
शमन
४१५
श्वसन श्वसनः
वपन
वर्तनी
शकुन
वनस्वा
४०४
४१६
वामनः वाहिनी वाणिनी
शकुनः शकुनिः शतध्नी शासन
___४०५
"
१७८
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