Book Title: Anekantjaipataka Part 01
Author(s): Bhavyasundarvijay, Yashratnavijay
Publisher: Jingun Aradhak Trust

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Page 2
________________ हिमालय सा उत्तुंग है वो जिनशासन हमारा है गंगा सा निर्मल और पावन जिनशासन हमारा है पतितो को भी पावन करतां जिनशासन हमारा है तारणहारा तारणहारा जिनशासन हमारा है जैनम् जयति शासनम् की अलख जगाना जारी है हे जिनशासन ! तुजको वंदन तेरा ध्वज जयकारी है वंदे शासनम् ... जैनम् शासनम्... Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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