Book Title: Anekant 1948 11 12
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Jugalkishor Mukhtar

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Page 77
________________ चम्पानगर ( लेखक - श्यामलकिशोर झा ) -2006→ ऑल इण्डिया रेडियो, पटना का चौपाल कार्यक्रम अच्छा गिना जाता है जिसका यश श्रीयुत् राधाकृष्णप्रसादको मिलना चाहिये, इन्होंने "बिहारके ऐतिहासिक स्थान" शीर्षक व्याख्यानमालाका आयोजन किया था जिसमें प्रस्तुत भाषण भी पढ़ा गया था । हम रेडियोके सौजन्यसे इसे यहाँ प्रकाशित कर रहे हैं। - मुनि कान्तिसागर बिहारका अतीत बड़ा ही गौरवशाली रहा है। महान अशोकका बिहार दुनिया के दो बड़े धर्मों— बौद्धधर्म और जैनधर्मका जन्मस्थान रहा है । प्रतापी चन्द्रगुप्तका पाटलिपुत्र, स्वतन्त्र लिच्छिवियोंकी वैशाली, रामायणके प्रसिद्ध राजा रोमपादक अङ्ग, नालन्दा और विक्रमशिलाके प्रसिद्ध विद्यापीठ, ये सब ऐतिहासिक बिहार के ऐतिहासिक स्थान रहे हैं । परन्तु, यहाँ हम प्राचीनकाल में चम्पा तथा आधुनिक समयके चम्पानगरकी बात करते हैं । चम्पा प्राचीन भारतकी एक प्रसिद्ध राजधानी रही है । हिन्दुओं के प्रसिद्ध धर्मग्रन्थ रामायण और महाभारत में चम्पाका उल्लेख आया है। वैदिक एवं पौराणिक ग्रन्थोंमें चम्पाका वर्णन किया गया है जिससे पता चलता है कि उस जमाने में चम्पाका एक विशिष्ट स्थान था । प्राचीन साहित्यमें चम्पा नामक नगरीकी अनेकता है। इसके नाम भी बहुत से रहे हैं । जैसे, चम्पा, चम्पावती, चम्पापुरी तथा चम्पानगरी आदि । प्रसिद्ध यात्री हुएनसाँग के कथनानुसार चम्पा स्याम देशका ही नामान्तर है । इसके विपरीत कर्नल मार्कोपोलोने कम्बोडिया अन्तर्गत टानक्रीन नामक प्रदेशको चम्पा बतलाया है। तीसरा मत स्वर्गीय डा० सरलास्टीन महोदयका है जिन्होंने पंजाब के चम्बा स्टेट (रियासत) को ही पुरातन चम्पा बतलाया है । केम्ब्रिज विश्वविद्यालयद्वारा सम्पादित और मुद्रित “चेपीय जातक" में लिखा है कि देश और मगध देशके मध्य में जो चम्पा नदी वाला प्रदेश है वही चम्पा है। इसी तरह चम्पाके स्थान निर्णयपर और भी बहुतसे विद्वानोंने बहुत-सी रायें पेश की हैं। Jain Education International यहाँ हम जिस चम्पानगरीकी बात कर रहे हैं, वह भागलपुर शहरसे ४ मील पश्चिम है । रामायण, पुराण आदि धर्मग्रन्थोंमें वर्णित चम्पानगरी कभी एक प्रादेशिक राजधानी थी, परन्तु आज वह भागलपुर शहरकी सिर्फ एक मुहल्लाके रूपमें जानी जाती है । 'इसका आरम्भिक नाम चम्पा तथा चम्पामालिनी रहा है। रामायण में कहा गया है कि चम्पा 'रोमपाद' नामक अङ्ग देशके राजाकी राजधानी थी । रोमपादने राजा दशरथकी पुत्री शान्ताको गोद ले लिया था और रोमपादके पोते चम्पा के नामपर ही इस नगरीका नाम चम्पानगर पड़ा था । जैन ग्रन्थोंके अनुसार इस नगरीका प्रतिष्ठापक श्र ेणिकका पुत्र कोणिक या इतिहास प्रसिद्ध अजातशत्रु था । हरिवंशपुराण में भी चम्पाके १७ शासकोंके नाम गिनाये गये हैं, परन्तु उसमें अङ्गके प्रसिद्ध शासक 'पौरव' का नाम नहीं आया है। पौरव' के बारेमें कहा जाता है कि उसने एक लाख घोड़े, एक हजार हाथी, एक हजार गाय और एक लाख सोनेके मुहर दान किये थे । पौराणिक कालके बाद बौद्ध धर्मग्रन्थोंमें भी अङ्गकी महत्ताका वर्णन किया गया है । उसके बाद ग्रन्थ 'दशकुमार चरित्र' और कादम्बरी में भी चम्पाका नाम आया है । For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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