Book Title: Akalanka Granthtrayam
Author(s): Bhattalankardev, Mahendramuni
Publisher: ZZZ Unknown
View full book text
________________
लाक्षणिक-दार्शनिकनामसूचिः
प्रवक्त
प्रयोगविरह ९०.१४. फलवान्
२६. ४. प्रयोजक २२. २. फलवेदक
६०. ३. प्रयोजन ८९.१३. फलहेतुव्यपोह
६५. ४. प्रयोजनसामर्थ्यसम्बन्धिनियमव्यतिरेक १२३. ४. फलात्मन्
६६.२, ११,७०. २६. प्रलय ८६.६,९८. २७; ११३.१. फलाभाव
५८. २२; ६९. ९, १२४. १२. ४२.१४; ९०.२१,६१.१६. फलीभाव प्रवचन २६.१८, ८१.२७,९८. २५,११६.६, १५. फलोदय
७६.२४. प्रवचनेतरवंशसंवृत्ति ११७.१९. बदरादिवत्
६७. २३. प्रवाह ४०.२४. बन्ध
११९. २०. प्रवृत्ति १५. २७; ९९.१८. बन्ध
८८. २०; १२२. ६. प्रवद्धाभिनिवेशात्मकसम्यग्दर्शन २६. ८. | बलीयस्
६२. ३०, १०७. ४. प्रसिद्धप्रभवसादृश्यप्रत्यासत्तिविप्रकर्ष ११२. २६. | बहिर्गतः
६६. २७ प्रसिद्धसंज्ञानसामग्रीप्रभवतया ११६. ८. बहिरणवः
२४. १७. प्रसिद्धहिंसानृतस्तेयाब्रह्मपरिग्रहस्वविपक्षगुणोत्कर्ष बहिरर्थ
१४. १८; ३०.१८५३. २६. ११६. २४. बहिरर्थप्रतिपत्तिहेतुतोपलब्धि
'१६. ८. प्रसिद्धार्थसाधर्म्य ७. ६, ८, १०. बहिरर्थविज्ञप्तिमात्रशन्यवचसां
२४. १२. प्रसिद्धाशेषतत्त्वार्थप्रतिबुद्धकमूर्ति २९. ३. बहिरर्थाविनिश्चय
९.२८. प्रसिद्धि २२. ११. वहिरर्थात्मन्
३९. १६. प्रसूते स्वान् पर्यायान् १६. १८. बहिरर्थावलम्बन
१०६. २२. प्रस्तावानुपयोगिन् ५१. २०. बहिराविसंवाद
१०. ९. प्रस्तुतार्थव्याकरण
बहिरन्तः ३. २३; ६.१८, २६; ११.१८; प्रस्तुतानुपयोगप्रलाप
११४. १९. ४७. ४, ६२. २५, ७०. १०, १६, ७३. ११, प्रस्तुताप्रसिद्धि
२२. ६.
२०१०५. २,११५.११. प्रस्फुट
३५. २०. बहिरन्तर्मखप्रतिभासविज्ञानेकतानिवृत्ति ११२. २९. प्राकृतप्रज्ञाविगाहयार्थदिग्मूढ ११६. २२. बहिरंग
१११.१२, १२०.२६, प्राकृतलक्षण
बहिरंगसाकल्य
१०७. ३. प्रागनध्यवसाय १९. ८. बहिःपरमाणु
१५. १. प्रागभावप्रध्वंसाभाव १५. २१. बहिर्दर्शनादर्शन
१०६.६. प्रागल्भ्य ९३. २५. बहिर्भासिभावप्रवाद
५२.१४. प्राग्विज्ञानोत्पत्ति
१९.१०. बहुबहुविधक्षिप्रानिसृतानुक्तध्रुवेतरविकल्प ३. १४. प्राङनामयोजन
४. २४. बहुभेद
४६. ११, ५९. २; ९३. ३. प्राणादि १२१. ३०. बहभेदासंभव
११७. २२. प्राणादिपरिणामविशेष १२७.१०. बहुविस्मय
३७. २. प्राणादिमत्त्व १०४. ७; १०८. १८, २१. बवाद्यवग्रहाद्यष्टचत्त्वारिंशत् प्रातिपदिकार्थ
२२. ६. बाधक
२. १४. प्रादुर्भावात्ययौ ४५. ७. बाधकाभावेतर
२. १५. प्रादेशिक प्रत्यक्ष २१. ६. बाधकासिद्धि
३९. २०. प्राधान्य
२४. १५.
बाधा प्रामाण्य १. १४; २. २, ३. १०, १२; १४. १, बाधारहित
२०.१०. ४; १८. १०, २०. २४; ४६. १९, ५२. २८; बाधारहिताव्यवच्छिन्नानन्तातीन्द्रियसुख २६. १४. ५४. ९, ८१.१२,८३.२५, २९, ८७.१४. बाल
२९. ९. - ९१. २३, ९७. ९, ९९.२०, १२७. २२. बालवृद्धवत्
१०४. २३. प्रेक्षाकारी ८८. २२; १२२. ७. बालादिवत्
१२१. १, १२७. ६. प्रेक्षापूर्वकारिन् १०५. ९. बालिशगीत
१९. २७. प्रेक्षावान् १७. १५. बाह्यार्थ
१०३. १६. प्रेत्यभावात्यय ११५. २८. बाह्यतरपक्ष
१०९. २९. प्रोक्षित ५१.११. बिडम्बित
७६.१०. फल ३.६, १२; ५,१:५२.१६:९८.९, १२, बीजपादपवत्
११९. २१. २३, ९९. २०, २१. ध २६. १९, ३७. १९; ८१. १५; १२७. २४. फलदायिन् ८९. ६. । बुद्ध
१.७,४२. १४.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390