Book Title: Akalanka Granthtrayam
Author(s): Bhattalankardev, Mahendramuni
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 383
________________ टिप्पणनिर्दिष्टग्रन्थानाम् तत्त्वसं० पं० तत्वसंग्रहपञ्जिका ( गा० सीरिज़ ) नन्दिसू० नन्दिसूत्रम् (आगमोदय समिति सूरत) १३२. बड़ौदा) १३२, १३३, १३६, १५९-१६१, नन्दि० मलय नन्दिसत्रमलयगिरिटीका (आगमोदय १६३, १७३. . समिति सूरत) १८१. तत्त्वार्थभा० टी०) तत्त्वार्थाधिगमभाष्यटीका सिद्ध न्यायकुमु० न्यायकुमुदचन्द्रः (माणिकचन्द्र ग्रन्थमाला सेनीया (आगमोदय समिति तत्त्वार्थसिद्ध० । ___ बंबई) १३८, १६०, १६३, १७०,१७९. सूरत) १३-१४७, १५०. न्यायकुमु० टिन्यायकुमुवचन्द्र टिप्पणम् (माणिकचन्द्र तत्त्वार्थसारः (प्रथमगुच्छक काशी) ___ ग्रन्थमाला बंबई ) १६६, १७०. १३४, १३५, १४३, १४५-१४७. न्यायकुमु० लि. न्यायकुमुदचन्द्रः लिखितः (स्याद्वादतत्त्वार्थसू० तत्वार्थसूत्रम् (जैनग्रन्थरत्नाकर बंबई ) विद्यालय काशी) १३८, १४१. १३२-१३५, १३८, १४२, १५२-१५४, न्यायकुसु० न्यायकुसुमाञ्जलिः (चौखम्बा सीरिज १६१, १६९, १७०. काशी) १३४, १४०. तत्त्वार्थश्लो० तत्त्वार्थश्लोकवात्तिकम् (निर्णयसागर न्यायदी० न्यायदीपिका (जैनसाहित्यप्रसारक कार्यालय बंबई ) १३२,-१३५, १३७-१४१, १४४ बंबई) १३२, १३४, १३५, १५५, १६२, १४९, १५१-१५३, १५५-१५७, १६२ १६४, १६८ १६४, १६६, १६७,१७०,१७१, १७५,१७८, १७९. न्यायप्र० ) न्यायप्रवेशः (गा० सीरिज़ बड़ौदा) तत्त्वार्थहरि० तत्त्वार्थभाष्यहरिभद्रीया वृत्तिः (आत्मा न्यायप्रवे० १६१, १६३, १६५, १६६, १७७. नन्दसभा भावनगर) १४३-१४७. न्यायबि० न्यायबिन्दुः (चौखम्बा सीरिज काशी) तत्त्वार्थाधि० भा० तत्त्वार्थाधिगमभाष्यम् (आर्हत्प्र । १३६-१३९, १४१, १५५, १६१-१६३, भाकर कार्यालय पूना ) १३४, १३५, १४०, १६५-१६८, १७५, १७८. १४२-१४७, १५२, १५३. न्याय बि० टी० न्यायबिन्दूटीका (चौखम्बा सीरिज तत्त्वोपप्लव० तत्वोपप्लवसिंहः लिखितः (पं० सुखला काशी.) १३७, १४८, १६८,१७६. लसत्क: B. H. U. काशी) १४६, १६२. न्यायबि० टी० टि. न्यायबिन्दुटीकाटिप्पणी (बिब्लोत्रिशिकाभा० त्रिशिका विज्ञप्तिमात्रतासिद्धिः (By थिका बुद्धिका रशिया) १३५. सिल्वनलेवी पेरिस ) १५६. न्यायभा० न्यायभाष्यम् (गुजराती प्रेस बंबई) १६३. धर्मसं० धर्मसंग्रहः (आर्यन सीरिज़ ऑक्सफोर्ड न्यायमुखग्रन्थः ( तत्त्वसंग्रहपञ्जिकायामुद्धृतः ) यूनि० ) १६२. १६१, १६६. धर्मसंग्र० धर्मसंग्रहणी ( आगमोदय समिति सुरत) न्यायमं० न्यायमञ्जरी ( विजयानगरम् सीरिज़ १६३, १६४, १६९. काशी) १३७, १५४, १६२, १६३. धर्मसं० वृ० धर्मसंग्रहणीवृत्तिः (आगमोदय समिति न्यायवा० न्यायवात्तिकम् (चौखम्बा सीरिज़ काशी) सूरत) १७७. १६२, १६३. धवलाटी० सत्प्ररू. धवलाटीका सत्प्ररूपणा लिखिता | न्यायवा०ता०टी० न्यायवार्तिकतात्पर्यटीका (चौखम्बा (पं० हीरालालसत्का अमरावती) १३४, १३५, सीरिज़ काशी) १३४, १३७, १३९, १६२. १४३-१४८, १५२, १५३. न्यायवि० न्यायविनिश्चयः (सिंघी जैन सीरिज़ नयचक्रम् (माणिकचन्द्र ग्रन्थमाला बंबई) १४३-१४७. । | कलकत्ता) १३२-१३४,१५५-१६०. नयचक्रव० नयचक्रवृत्तिः लिखिता (श्वे० जैनमन्दिर न्यायवि० वि० न्यायविनिश्चयविवरणं लिखितम रामघाट काशी) १३३, १४३, १४४, १४६, (स्याद्वाद विद्यालय काशी) १३२-१३४, १४७, १४९, १५३, १६२, १७०,१७७,१७८. १३८, १४८, १४९, १६४,१७१-१७६,१७७नयप्रदीपः ( जैनधर्मप्रसारकसभा भावनगर) १४३, १८०. १५१, १५२. | न्यायसू० न्यायसूत्रम् (चौखम्बा सीरिज काशी) नयरहस्यम्( जैनधर्मप्रसारकसभा भावनगर ) १४३. १३९, १४१, १६२, १६५, १६६, नयविव० नयविवरणम् (प्रथमगुच्छक काशी) १४३. | न्यायवि० टि० न्यायविनिश्चयटिप्पणम् (एतत्पस्त१४४, १४६, १४७, १५२, १५५, १७०. कस्थम् ) १७२-१७५, १७७-१८०. नयोप० नयोपदेशः (जैनधर्मप्रसारक सभा भावनगर) | न्यायावता० न्यायावतारः (श्वेताम्बर कान्फेन्स बंबई) १७०. १३७, १६२, १६३, १६५, १६६,१७०,१७७. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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