Book Title: Akalanka Granthtrayam
Author(s): Bhattalankardev, Mahendramuni
Publisher: ZZZ Unknown
View full book text
________________
५२
स्वभावोत्पादाविघात स्वभावोपल
स्वभावोपलम्भोपयोगसंस्कारविशेष
स्वभूतिमात्र
स्वतप्रणीत प्रमाणद्वयव्यवस्थापन स्वयमदृष्टतादात्म्य तदुत्पत्ति स्वयमनाधेयातिशयात्मन् स्वयमभेदक
स्वयंप्रभु
स्वयंभु
स्वाध्यायतपः प्रभावमूल स्वाभिलाप्यानभिलाप्यत्व
स्वरसतः
स्वरसभंगुर स्वरसवृत्ति
स्वरूप स्वरूपतत्त्वविभ्रम
स्वविषयनिर्भासाविवेक स्वविषयनिश्चय
स्वरूपादिचतुष्टयविशेषणविशिष्ट
स्वलक्षण ३. २४; ८. १९; ११. १९, १९; १४. २२; १७. २; ४६. १३, २६; ४८. ८, ९ १०३. १; १०७. १७; स्वलक्षणभेदाभेद स्ववचनप्रतिघाती स्ववचनविरुद्ध
स्वविषयव्यवस्थापनविकल्प
स्वसम्बन्धोपलब्धि
स्वसर्वानुपलम्भ
स्वसामान्यलक्षण
स्वसंवित्
११२.२०.
स्वरुचिविरचितदर्शनप्रदर्शनमात्र १४. ८, १०७. ४.
१३. २६; ११५. ८;
१२५. ४. ११७. २५.
लघी० न्यायवि० प्रमाणसंग्रहान्तर्गतानाम्
स्वार्थप्राधान्य स्वार्थभेदनिराकृति स्वार्थ भेदानवबोध स्वार्थमात्राध्यवसाय स्वार्थविवेक स्वार्थालोकपरिस्फुट
स्वसंवेद्य
स्वस्थ
स्वस्वभाव रहित स्वस्वभावस्थित
स्वहेतु स्वहेतु जनित स्वहेतुप्रकृति स्वहेतुप्रतिपक्षपाटव
स्वहेतूत्थ
स्वाकार
स्वातन्त्र्य दृष्टि स्वात्मोपलब्धि
१००. २२. १०४. १९. १२५. १८. ४. ६.
८. ४.
Jain Education International
१०. १६. ११२. १.
११. २५, २६; १३. २.
१९. २. ११५. ३०.
११८. ११.
१२२. २०.
११९. २९.
११२. २१.
२१. २४.
२०; १२. ४५. २४;
५९. ११;
१२३. १५.
१३. १२.
स्वसंविद्विषयाकारवित्रेकानुपलम्भ
३. ५. ६. ११.
स्वसंवेदन ६. २८; ३४. १२; १०१. २३; १०३.
१७; १०४. २०.
८. १६; ३२. २९.
२१. २. १४. १४.
६६. १७.
३९. २६; ८८. ४; १२५. २.
२०. १६.
११५.५.
११४.५.
१२५. ४.
१०८. १२.
२. २४.
१०४. १८.
८४. ९. १०७.८.
८९. २.
१२०. ३.
२०. १७.
१२५. ९.
६२. ८.
१.
४.
स्वाधार
स्वापमूर्च्छाद्यवस्थ स्वाभिप्रायनिवर्त्तन
स्वावयव स्वाश्रयव्यापित्व स्वांशमात्राभिनिबोध स्वांशमात्रावलम्बिन् स्वांशमात्राविग्रहविकल्प स्वांशमात्राविषय स्वेष्टसिद्धि स्वोपलंभनियम
स्वोपादानसहकारिविवर्त्तविकल्प
हतसंशय हर्षविषादादि हर्षादि हा कष्टं
हानादिबुद्धि
हानोपादानोपेक्षाप्रतिपत्तफल
हित हितकामिन् हिताहितप्रतिपत्ति हिताहितप्राप्तिपरिवर्जन
हिताहित विवेकविरह हिताहिताप्तिनिर्मुक्तिक्षम हिताहिताप्तिपरिहारसमर्थ हीनस्थानप्रापण
हेतु
हेतु
१७. ७; ५३. १२, २२; १०, १४; ७८. २४;
हेतुफलभाव हेतुफलसन्तानवत् हेतुलक्षण हेतुवाद
हेतुसन्निधानासन्निधानाविशेष
हेतुसाम्य हेत्वाभास
हेत्वाभास
य
योपादेयतत्त्व
९९. १६.
१२०. २१.
हिताहितप्राप्तिपरिहारोपयोगसामर्थ्यविरह १२७. ९.
१००.४.
१७. ३.
१३. ५.
११. २०.
९८. १३.
९८. २०.
९९. २.
३८. १७; ११७. २०.
१०३. १५.
For Private & Personal Use Only
६७. २३.
५१. २४.
८१. ६.
१४. ११. १०२. २१. १०६.२१.
हेयोपादेयतत्त्वार्थविपरीतव्यवस्थिति
१२०. १३.
२१. २४.
१०९. ३०. १०५. १४.
२९. १९. २१. ६; ९७. ७.
११९.२०. १०२. ११. ६२.२, ११; ७५. १०५. ३०; १०९.
१७, २७; ११०. ६; ११२. २०.
३. १८.
५. १५. ३१. १९.
४१. १७.
२६. १९.
७. १३.
७७. २९.
२९. ९.
१०८.१. ४५. १४. १०९. २३.
९. २८; २६. २२.
१०१.५.
४०. १६. ७६. ११.
७६. २९; ११०. १०.
८२. १८. ८२. १५. ८९. १६.
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390