Book Title: Akalanka Granthtrayam
Author(s): Bhattalankardev, Mahendramuni
Publisher: ZZZ Unknown

View full book text
Previous | Next

Page 379
________________ ५० लघी० न्यायवि० प्रमाणसंग्रहान्तर्गतानाम् ७. २. ८. संख्यासंख्येय १२४. २१. ! संसार ६२. १३,८३. १४८९. २५; ११९. ५, ८. संग्रह ११. १०; १३. ४, ७, २४. १,३. | संसारपरिनिर्वृती १२२. १३. संग्रहव्यवहारर्जुसूत्रार्थनयसंश्रय १२३. ७. संसारमुक्तिभाक् ६०.१७. संग्रहादि २३. २६. संसारवैचित्र्य ६४. २१. संघात ९२. ९. | संसारिन् २३. १०,७८. १४, ८४. १७. संचयापोहसन्तान ११५. २३. | संस्कार ३. १,११८. २६; ११९.२०. संचितालम्बन ९८. २. संस्कारपाटव ८९.८. संज्ञा ४. २३; ५. १, २, ६०.१८. संस्कारसंस्थिति ६३. २४. संज्ञाकर्म संस्कृतेन्द्रियवत् १०३. ३. संज्ञान १७. १०. संस्थानात्मक ८. १८; १०८. २५. संज्ञान्तरविकल्प १२०.१८. संस्थानादिमान् १२१. २०. संज्ञासंज्ञि संप्रतिपत्तिसाधन २०. संहत १०८. २८. संज्ञासंज्ञिसम्बन्धप्रतिपत्ति संहारसूत्रनीलादि ११४. ६. संक्षिप्रतिपादन ७. ७. संहृताविकल्पावस्था १२३. १२. संभवप्रत्यय १००. ५. | संहृताशेषचिन्ता ८. १७. संयोग १०४. २८, २९. ! सांकर्य ६७. ११. संयोगकारण १००. २३. सांवत ४९. १३. संयोगसमवायतदनुदय १२५. २४. सांव्यवहारिक संयोगसमवायादिसम्बन्ध ४८. २६. स्कन्ध २३.६; ६७.२१,६८.१,१४,१८,१२१.३०. संवर ८८. २१, १२२. ६. स्कन्धपरमाणुपर्यायभेद २३. १३. संवरण ८८. २३. स्तिमितान्तरात्मना ८. १८. संवाद६३. २४,९८. २९,११५. ३, १०, १२५. १४. स्त्री १६. १८. संवादनिरपेक्ष १२५. ३. स्त्यानप्रसवतदुभयाभावसामान्यलक्षण २५. ७. संवादसामर्थ्यभेद १००. ८. स्त्यायत्यस्यां गर्भः १६. १८. संवादासंभवाभाव स्थ वीयांस १५. १. संवित् ४२.१, १२०.६; १२१. ६. स्थाणु ११४. १४ संवित्ति ४. ७:३४. २०, ५४. २८. स्थानप्रस्थान ११९. १६. संवित्परमाणु १५. २, २४. १७. स्थानसंकरव्यतिकरव्यतिरेक १२. २५. संवित्स्वभाव १०३. १३. स्थापना २६. २. संविदात्मन् ३८. १३; ९८. ४. स्थापनादिवत् ११७. २७, ११८. ६. संवेद ३२. ६. स्थापनाश्रुति ११८. ८. संवेदन ३२. ३, १०३.१३. स्थिति ४५. ८, ११३. ५. संवृति ३. ८, ९,११५. १६. स्थितिस्वभावैकान्त १०५.१८. संवृतिवाद ११५. २१. स्थित्युत्पत्तिविपत्ति १००. १७. संव्यवहारानुपयोगिन् १. १५. स्थूल ४४. ६, ९८. १,१०५. ३, १२३. १८. संव्यवहाराभाव ३. ११. स्थूलद्रव्यादिक १२१. १५. संशय १००.२,१०८.२४,२८,३१,११०.३०,११४.१. स्थूलप्रमाणानवधारण ४४. १६. संशयविपर्यासकारण १. १५. स्थूलस्पष्टविकल्प ७२. १४. संशयविपर्यासस्वप्नज्ञानादि २४. ९. स्थूलात्मकमेकम् संशयविरोधवैयधिकरण्योभयदोषप्रसंगानवस्थासंकरा- स्निग्धरूक्षताभाव ११९. २२. भावकल्पना १०३. ४. स्नेहादि १२०. १९. संशयादिज्ञान १८. २७; २०. २,११५. १२, १९. ६८. २५, ११५. १; १२१. २०. संशयादिप्रसंग ९१. ४. स्पर्शनग्रह । ६८. २५. संशयादिविदुत्पाद १८. २५. स्पर्शादिविशेष १०४. २६. संशयासिद्धव्यतिरेकानन्वयादि . १११. १०. स्पष्ट २१. ६, २९. १४; ५०. २२, ८४. १३; संशयकान्त ९२.१७,९७.१७; ११६. १५. संशयकान्तवादिन् ८२.४. स्पष्टनिर्भास १२२.१२. संशीति २. १४. स्पष्टाकारविवेक १२५.१०. संश्लेष ६७. १७, १०४. ३१, ११३. २९. | स्पष्टाभ ३९. २०. संसर्ग ५४. २७, २८. | स्पष्टावग्रह . ११८. १. ८. १९. | स्पर्श Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390