Book Title: Ajab Jivanni Gajab Kahani
Author(s): Gunhansvijay, Sanyambodhivijay
Publisher: Jainam Parivar

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Page 8
________________ પૂજ્યપાદ ગચ્છાધિપતિશ્રીનો खनुज्ञापत्र तीर्थ परमात्मा सर्वोकृष्ट ५६१२ देश- तेस्रो सही ध्या पूर्व शासन - मोजमार्ग स्थापना अपना आपा नेोधाद वेळेनिन उहे सारू नेसो ने धर्मस्थापे तेने नैनधन उद्देशाद- तेघामने स्वतझरनार आराधनार माननार ने नैन ईबाद सामाप्रदृष्ट५ याने शक्तिशाली बनार पर जैनधारण धाप अदमको साझयो छे खेसवश्य सी छ्या बाहक्शासम धापे सेमनु शासन के अधझदेछे नेमांमदमादारनाथ दमनार नेमना मुख्य शिष्यो अनुपादियो जननार साउड संख्यामां बीदन होय छे तेमने गएराघर - ईवाद उही इसाबन दे ते सर्जरी काय परंतु रोमने प्रभुका शिवहिधा सदलप्रलावध खेदनुज्ञान जिस । दून्य तহत प्रगढ़ 24 छेडे खलकको रोमनेपा सक्दा मानवा प्रराळी आपा के महापुरूषो 'सर्वकारून धन आने ল सर्वरी बलोदा छता वाढतोदार्ड उप साजने संक्रमे श्री तीर्थ फेर लगवान आने श्री गणधर लगवान कोपादधे श्रीधर लावान थोड डाजे लत होममा शोड ४ काय परंतु खेल लगानना आवासलादपून्द शादी गणाधर शिक्षक समृध्द तो धाद- जघा गुरुलाहको अने प्रायः सामाना शक्तिपाया पर‌मात्मा समनेवालासना होय ही श्री परमात्याना हाडे रोमना अज शिवाय खागसाहर लगयको सGay 40ावधता पर‌मात्याददान्य ज्ञान परmने या शासन प्ररूपेछे भने योग्य शिष्योने शासन बहन कड‌का संकायदा अथयेछे स्थापना पूर्वी परमात्मा योग्य कोने संतिजयां सपना प्रभोना उत्तररूपे संज्ञियमा किपाहिनु ज्ञान आने से दो पोताने मजेसनका अकधी अयुना मला खनेपुन्यका शासन माहेना समझना मार्गो उपायों दिधानो तत्दो पोरे सुमार रूप रयेो नियत सिंहोतेमा प्रत्युनेनचाण आपले संजिफ अरुपये अने गणधर हेहे सूत्र रूप जार अंगरयेछे रुने सेनो अर्थ दिस्तारखे हेत दिया जाइ तर लगान

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