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प्रकाशित हुआ । किन्तु वह भी कुछ वर्षों पहले ही समाप्त हो गया। अतः डॉ० वशिष्ठनारायण सिन्हा ने इसे संशोधित परिमार्जित करके रखा था। लेकिन वह यों ही पड़ा रहा । जनता की मांग बार-बार आती रही । इस वर्ष पं० मुनिश्रीनेमिचन्द्रजी महाराज ने अहिंसा के सम्बन्ध में श्री अमरमारती आदि में प्रकाशित कविश्रीजी महाराज के प्रवचनों एवं लेखों को छांट कर इसे परिष्कृतरूप से पुनः आद्योपान्त सम्पादित किया । इसी संशोधित परिवद्धित तृतीय संस्करण का नये रूप में प्रकाशन हुआ है । हम उन सभी सम्पादकों, संशोधकों एवं सहयोगियों के अत्यन्त आभारी हैं । खासकर सेवाभावी श्री अखिलेशजी महाराज के अत्यन्त आभारी हैं, जिनकी दीर्घदर्शिता की बदौलत यह सुन्दर साहित्य उपलब्ध हो रहा है। शीघ्र और सुन्दर मुद्रण के लिए 'दुर्गा प्रिंटिंग वर्क्स' के व्यवस्थापक महोदय का सत्सहयोग भी प्रशंसनीय है । सभी सहयोगियों को धन्यवाद ! जैन भवन
विनम्रलोहामंडी, आगरा-२
---मंत्री, सन्मतिज्ञानपीठ, आगरा १२-४-७६
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