Book Title: Aganit Pankhona Ashrayrup Ek Vadlo
Author(s): Jayant Kothari
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 4
________________ 240 शब्दकोश'मां गरबडिया शब्दोनेये छोडुं नहीं - अनी साथे माथाफोड कर्या करूं. भायाणीसाहेब मने रोक लगाव्या करे, पण हुं शानो मार्नु ? पाछो आ माटे जीव तो मारे भायाणीसाहेबनो ज खावानो अने जे प्रेमथी जीव खावा पण दे ! अंते तो जे विद्याना ज जीव ने ? . 'जैन गूर्जर कविओ'नी पुनरावृत्तिनुं विचारातुं हतुं त्यारे भायाणीसाहेब अम ज माने के अनुं पुनर्मुद्रण करवू जोईए, फेरफार करवा जतां मुश्केलीओ ऊभी थाय अने वात हाथमांथी छटकी जाय. आ गंजावर सामग्रीने फरी लखवा जतां तो अमां नवी भूलो दाखल थाय. हुं ओम मार्नु के गुजराती साहित्यकोशनी सामग्री वगेरे जे नवां साधनो हाथवगां थयां छे तेनी मददथी शुद्धि अने आवश्यक पुनर्व्यवस्था करीने ज आ ग्रंथ श्रेणी प्रगट करवी जोईए. में भायाणीसाहेबने कां के मूळ सामग्री फरीने उतार्या वगर सुधारा केम दाखल करवा अने पुनर्व्यवस्था केम करवी ए टु जाणुं छु; केवळ पुनर्मुद्रण करवा साथे हुं संमत नथी. भायाणीसाहेबनी उदारता अवी के मारी पासेथी मारी योजना मुजबनो ज अंदाज मागी अेक संस्थाने अना प्रकाशन माटे भलामण करी. अे संस्थामां तो वात आगळ न चाली, पण पछी श्री महावीर जैन विद्यालये 'जैन गूर्जर कविओ'नी पुनरावृत्ति करवानुं नक्की कर्यु अने अनुं संपादन मने सोप्यु. पुनरावृत्तिमां शुं शुं कर जोईए अना मुद्दा विचारीने हुं फरी भायाणीसाहेब पासे पहोंच्यो. एक पछी एक मुद्दो अमनी समक्ष मूकतो गयो - आ कर जोईए के नहीं अम पूछतो गयो. अने एक पछी एक बधा मुद्दाने भायाणीसाहेब मंजूर करता गया. पुनर्मुद्रणनी ओमनी वात आपोआप ऊडी गई. भायाणीसाहेबनां खरां विद्यानां धोरणो ते तो आ ज, भले संयोगो ओमनी पासे बांधछोड करावता होय. भायाणीसाहेब अटला साचा के 'जैन गुर्जर कविओ'ना पुनरावृत्तिना कामे में नहोतां धार्यां अटलां, दश वर्ष लीधां अने जरूरी मदद मित्रो-स्नेहीओ तरफथी मळी रही त्यारे ओ शक्य बन्यु. ___ भायाणीसाहेबे मध्यकालीन गुजराती कृतिओना जे शब्दकोशो आप्या छे ते सौथी वधारे श्रद्धेय. मारा 'मध्यकालीन गुजराती शब्दकोश'मां अनो मने मोटो आधार. पण पाछा प्राचीन कृतिने शब्दकोशनी मदद आपवामांथी भायाणीसाहेब आळसी जाय पण खरा. शब्दकोशनी वाट जोवा जतां कृति Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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