Book Title: Aganit Pankhona Ashrayrup Ek Vadlo
Author(s): Jayant Kothari
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 8
________________ 244 वृत्ति अने अने सहायभूत थवानी तत्परता तो कोई विद्वानमां जोवा न मळे एवी. विद्वानने तो पोतानी पळेपळनी किंमत होय अने ओ कंईक तेजोद्वेषी पण होय. भायाणीसाहेब तो आपणने आगळ करवामांये भाग भजवे. मारे मारा पीएच.डी. ना विद्यार्थीना विषय के विषयनी रूपरेखा नक्की करवानी होय तो पण अम थाय के चालो, भायाणीसाहेब पासे जईए, ए कंईक नवं सरस सुझाडशे. पछीथी पण काम करता-करतां प्रश्नो ऊभा थाय त्यारे भायाणीसाहेब पासे ज दोडवा. भायाणीसाहेब एटले अध्यापकोना अध्यापक, गुरुओना गुरु. बीजाने सहायरूप थवानी भायाणीसाहेबनी तत्परता तो केवी ! छेल्ला एक वरसथी भायाणीसाहेबनी तबियत लथडी हती अने शक्तिओ कंईक क्षीण थई हती ते दरम्याननो ज एक दाखलो आपुं. एक मध्यकालीन कृतिमा 'कोइल विखवयणी' (कोयल विष-वचनी) एवी पंक्ति आवी. कोयल तो मधुर वचन बोलनारी. प्रश्न थयो के 'विष' शब्दनो 'मधुर' अर्थ होई शके? विरुद्ध अर्थमां शब्द वपरायो होय एवी कोईक परंपरा होवानुं अने मारा 'मध्यकालीन गुजराती शब्दकोश'मां एवो कोई शब्द आव्यो होवानुं स्मरण थयु. ए कोशमां त्यारे तो आवो कोई शब्द जड्यो नहीं. पण मनमां थयु के ए वखते आवी परंपरानी माहिती मने भायाणीसाहेब पासेथी ज मळी होय. में भायाणीसाहेबने फोन को पण एमने आq कई याद न आव्युं. पछी मारे एक दिवस मोटा दीकराने त्यां जवान थयु. बीजे दिवसे त्यां भायाणीसाहेबनो फोन आव्यो (मारे आ घेरथी फोननंबर मेळवीने ज तो !). "विष'ने माटे 'मधुर' शब्द- एवा केटलाक प्रयोगनी मोंध लेतो एक श्लोक एमने मळी गयो हतो ते कह्यो. मने थयुं के वाह, मारी धारणा साची पडी. त्यां तो बेएक दिवसे पार्छ भायाणीसाहेब पोस्टकार्ड आव्यु- तमारी ए पंक्ति मने लखी मोकलो. में पंक्ति लखी मोकली एटले एमणे मने लख्यु के परंपरा तो "विष' वगेरेने माटे 'मधुर' शब्द वापरवानी छे, जेमां हेतु ए पदार्थनी अनिष्टताने ढांकवानो होय. 'मधुर' माटे "विष' शब्द वापरवानी परंपरा नथी, एनो कोई हेतु पण होई न शके. एमणे मारी पंक्तिनो जुदो अर्थ करवानुं पसंद कर्यु. वसंतवर्णनना संदर्भमां भायाणी साहेबे सूचवेलो अर्थ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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