Book Title: Agama
Author(s): Namramuni, Gunvant Barvalia
Publisher: Global Jain Agam Mission
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ŚRĪ ANTAGADA SUTRA
8TH ANGA SŪTRA
कण्हाइ ! अरहा अरिट्ठणेमी कण्हं वासुदेवं एवं वयासी __- मा णं तुम देवाणुप्पिया ! ओहयमणसंकप्पे जाव झियाह। एवं खलु तुम देवाणुप्पिया! तच्चाओ पुढवीओ उज्जलियाओ णरयाओ अणंतरं उव्वट्टित्ता इहेव जंबु द्दीवे दीवे भारहे वासे आगमेसाए उस्सप्पिणीए पुंडेसु जणवएसु सयदुवारे णयरे बारसमे अममे णामं अरहा भविस्ससि। तत्थ तुम बहूई वासाइं केवलिपरियागं पाउणेत्ता सिज्झिहिसि बुज्झिहिसि मुच्चिहिसि परिणिव्वाहिसि सव्वदुक्खाणं अंतं काहिसि।
KAŅHĀI ! ARAHĀ ARITTHAŅEMT KAŅHAM VĀSUDEVAM EVAM VAYĀSĪ
- MĀŅAM TUMAM DEVĀŅUPPIYĀ | OHAYAMAŅASAMKAPPE JĀVA JHIYĀHA ! EVAM KHALU TUMAM DEVĀŅUPPIYA | TACCÃO PUDHAVIO UJJALIYĀO WARAYĀO AŅAMTARAM UVVATTITTA IHEVA JAMBUDDĪVE

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