Book Title: Agam aur Tripitak Ek Anushilan Part 1
Author(s): Nagrajmuni
Publisher: Concept Publishing Company
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इतिहास और परम्परा]
शब्दानुक्रम
२८७ दवशमा
दुमसेण
४००
३८४
दीर्घकारायण
३२३ देव-परिषह दीर्घ तपस्वी निर्ग्रन्थ ३६०, ३६१, ३६१ देवदह प्रदेश
११७ ३६२, ३६३, ३६७ देवराज
२६६ दीर्घ भाणक १४६, १४७ टि० देवद्धि (क्षम
४, ४४ टि० ३२६ दीवान बहादुर स्वामी कन्नुपिल्ले १०४ देवलोक
४२२, ४३६ दीहसेण दुक्कट का दोष ४७० देव सेनाचार्य
२२ टि. दुःख विपाक
३३२ देवानन्द ब्राह्मणी १२१, १२५, १२६, १२८ दुःप्रसह
१८३ प्र०, २३१, ३३३ दुम २८७ देवेन्द्र शक्र
३४३ २८७ देशब्रती
१८१ दुम्मुह राजा
३१७ दैववाद दुरे निदान
१२३ टि० दोहद १३१ प्र०, २६४, २६६, ३०६ दुर्गति
४३६ द्युतिपलाश उद्यान २३५, २३६, २३७ दुर्मुख सेनापति २८० द्युतिपलाश यक्ष
२३५ दुषम-दुषमा आरा
३३१ द्रव्य दुःषमा आरा ३३१,३३२ द्रव्य मल्ल-पुत्र
२२६ दुःषम-सुषम आरा १२७ द्रव्य लिंगी
२७३, २७४ दूइज्जतग-आश्रम ३४८ द्रव्य लेश्या
४१६ दूसरी संगीति, बौद्धों की ४५, ८६ टि० द्रुमक
३१२ दृढ़प्रतिज्ञ मुनि
२७ द्रोण
३३, १४८, २४७, ३२१ दृढभूमि
३४६ द्रोण-वस्तु ग्राम २२४ टि०, २२५ टि० दृढ़सेन ८६ टि० द्रोण विप्र
२८८, ३४४ ४२१ द्वादश प्रतिमा
२२६, २३० दृष्टधर्म २०२, ३५८ द्वादश व्रत
२३२, २३६, २३७ दष्टि-निध्यान ३७१ द्वादश व्रतधारी श्रावक
२३३ देवकट सोब्भ
४२० द्वादशांगी
७७, ७८ टि०, १५८, देवकुरु २७७
२१८, ४५० देवकुल २७६ द्वितीय अहोरात्र प्रतिमा
२२७ देवगति २८० द्वितीय चलिका
४५० देवताओं के प्रिय २२६ द्वितीय ध्यान
३४३, ३८० देवदत्त ६३, ६३ टि०, २१७, २१६, द्वितीय पराजिका
४५४ २२०, २६१, २६२ प्र०, २६२, द्विमासिक तप
२३० २६३, २६५, ३११, ३६८ द्विमासिकी भिक्षु प्रतिमा
२२७ देवदत्त सुत्त ६० टि०, ३०७ टि०, ३७४ द्विमुख-अवमासक मुकुट
३१७ देवदह नगर १३८, २२७ टि०, ३७० द्वेष
१८५, १६१, ४५३ देव-दुदुभि २८०, ३३८, ३४३
दृष्ट
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