Book Title: Agam aur Tripitak Ek Anushilan Part 1
Author(s): Nagrajmuni
Publisher: Concept Publishing Company
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इतिहास और परम्परा]
शब्दानुक्रम
४०७
२५
पर-सिद्धान्त
२२८ पांच शिक्षापद पराक्रम २३८ पांच समितियां
२३०, ४१६ परिग्रह १८५, २६०, ४६६ पांचाल देश
३१७, ३५३, ४१० परिग्रह-विरमण
२६० पाइयसद्द महण्णवो १६१,२८४ टि० परिनिर्मित-वशवर्ती १३६, ४०६, ४१० पाचित्तिय ४६२, ४६२ टि०, ४६२ परिनिर्वाण १७५, २६६, ३२८ प्र०,
४६२ टि०, ४६३, ४६३ टि०,४६५, ३५३ टि०४५६
४६६, ४६७, ४६७ टि०, परिब्बाजक वग
४६८ टि०, परिवेण
२४५ पाटलिपुत्र ७६, ६५ टि०, १०१ परिव्राजक ३५, १३८, १७४, १८८
३०५ २०१ टि, २०६,२०७. पाटिदेसनीय
२०८, २०६, २३०, पाठ २४२, ३८१, ३८९,४०४, ४०५, पाणिनी
३५, १०० टि० ४२०, ४२३, ४२६ पाणिनीकालीन भारतवर्ष ३५ टि०, ४२६, ४३८
१०६ टि. परिव्राजक शास्त्र
१२८ पाणिनी व्याकरण ३५ टि०, १०६ टि., परिव्राजिकाराम ३८६
३२५ टि०, परिशिष्ट पर्व ४६, ५०, ४६टि०, ५३ टि०, पाण्डव पर्वत
१५५ २६१ टि०, पाण्डकाभय
४४१ परिषह ११६, १६०, १६४, १६४ टि०, पाण्डुकाभय का राज्याभिषेषक १६४, १६८, २०५ टि०,३१३
२७१ परिषह-जयी
२२७ पाण्डु वासुदेव का राज्याभिषेक ६२ टि० पर्यङ्कासन
३३३ पाण्डे प्रो० जी० सी० ४५६, ४५७ टि०, पर्यवगाढ़ धर्म ३५८
४५७ टि० २३७ पाण्डेय, प्रो० श्रीनेत्र ५२ टि, ७८ टि०, पव्वज्जा सुत्त २७२ टि०
७६ टि. पश्चिम महाविदेह १२१ पातंजल महाभाष्य
३५ टि. पश्चिम विदेह १३७ पातंजल योगदर्शन
३७८ पश्चिमी विद्वान् ४५१ पाताल लोक
३२८ पांच अणुव्रत
२३७, २६० पातिमोक्ख पांच अभिगमन १८३ पात्र-दान
४४५ पांच आश्रव ४१६ पादोपगमन अनशन
१८७, १८६ पांच इन्द्रिय १६१ पान-कथा
४०६ पांच परिव्राजक १५६ पानी
४६७ पांच महात्याग
१६७ पाप १७६, १८५, २६१, ४२१, ४३१, पांच महाविलोकन, बुद्ध के
१३६
४३१, ४३५, ४४५ पांच महास्वप्न १५७,१५७ पाप-बन्ध
३६७ पांचवीं अभिजाति ४१५ पारम्परिक-कथन
४५५
४४१
पल्योपम
४६६
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