Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 07
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 7
________________ , प्रकाशकीय निवेदन अमारी ग्रन्थमाला तरफथी आ श्रीआगमसुधासिन्धु सातमो विभाग मूल प्रगट करता / आनंद अनुभवीए छीए / हालमा 45 आगम मूल अने केटलांक आगम टीका सहित प्रकट करवानु काम शरू करतां आ ग्रन्थ नागरी लिपिमा मोटा टाइपमा प्रगट करेल छ / आ प्रकाशन पूर्वे श्री आगम-सुधा-सिन्धुना पहेलो, बीजो, बीजो, चोथो, पांचमो, छट्ठो, आठमो, अग्यारमो, बारमो, तेरमो, चौदमो विभाग प्रगट थई गया छे। हवे मात्र आ श्रेणीमां 9-10 बे विभाग तथा श्री आचाराङ्ग सूत्र टीका बाकी रहे छ / आ ग्रन्थनु संशोधन संपादन हालारदेशोद्धारक कविरत्न स्व० पू० आचार्यदेव श्रीमद्विजय अमृतसूरीश्वरजी महाराजना शिष्यरत्न पू० पंन्यासश्री जिनेन्द्रविजयजी गणिवरे घणी खंतथी करेल छ / ___ कागल छपाई आदिना भाव वधवाने कारणे तेमज मर्यादित नकलो छपाती होवाथी खर्च धार्या करतां वधु आवे छे / मोटा टाइपमा मुद्रित करतां पेज पण बंधारे थाय छ / परंतु टकवानी अने अभ्यासनी दृष्टिए अनुकूलता रहेशे / आगम सूत्रोना अधिकारी योगवाही गुरुकुलवासी सुविहित मुनिओ छ / ए शास्त्रविधि मुजब पूज्य श्रमणसंधमां आगम वाचनादिमां अनुकूलता थाय ते रूप आ श्रुतभक्ति करतां अमे आनंद अनुभविए छीए। ___आ विभागमां श्री जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति आदि आठ उपाङ्ग प्रगट थई रह्यां छे। सटीक आगमोमां श्रीमदुपासकदशा सूत्र श्रीमदन्तकृदशा, श्रीमदनन्तरोपपातिकदशा तैयार थइ. गयां छ / श्री आचाराङ्गसूत्र श्रीशीलाङ्काचार्यश्रीजीनी टीका छपाय छ। मुद्रण माटे श्री गौतम आर्ट प्रिन्टर्सना व्यवस्थापकोए सारी खंत राखी छे तो तेमनो आभार मानीए छीए / वीर सं० 2504 वि.सं० 2034 पोष कृष्ण 11 लि:महेता मगनलाल चत्रभुज शाह कानजी हीरजी मोदी

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