Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 07
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध :: शुद्ध पृष्ठ पंक्ति . अशुद्ध शुद्ध 346 18 अणुयविसिइ अणुयविसइ 446 , जावप्पवरं जाणप्पवरं . अणुपविसत्ता अणुपविसित्ता 446 18 वंदति वंदति 2 354 24 चरित चरति 454 10 विखेति विरवेति 356 16 'एषा० एव० ..... 457 20 असए उसए 358 4 कह ता कह 456 23 (असीतरणे) . (असीतरेण) 364 11 तहेव तहेव .. .46518 सेयण सेयणग 366 6 दाणि दाहिण र 467 1 सोहनायक सीहनाय० / 383 10 सवणे संठाणे 471 6 जंबुद्दीवे जंबुद्दीवं 3855 चउवीसंगला- चउवीसंगल- 472 5 अहणोवन्ने भहुणोंववन्ने . 385 23 अट्ठ(सत्त)पणरस पण्णरस(भट्ट, सत्त). 475 5 आतवेमाणस्स आतावेमाणस्स 362 . रवेतीहिं रेवतीहि 476 . महारया महाराया. 318 2 पुव्वफग्गुणी . पुव्वाफग्गुणी - 477 20 सत्तिवन्नो सत्तिवन्ने 369 23 - बावर्टि .474 2 ०समयंत्ति समयंसि * 405 15 जसि जंसि - 481 14 संचाए संघाडए 405 16 तासिएणं . तारिसएणं .. 481 23 ०प्पभितोणं . ०पभितीणं 408 17 अणंतरपुक्खडे अणंतरपुरक्खडे 485 20 भीत्ताई भत्ताई. : 415 1 एतसि" एतेसि 486 22 रयणकरंगतो रयणकरंडगतो 424 22 एमाहंसु एवमाहसु . 487 21 . मुगंध० . सुगंध 427 '3 सव्ववरिल्लं सव्वुवरिल्लं .. 488 10 विहरत्तए, - विहरित्तए. 432.17 लवणोदधणो लवणोदधिणो तमिच्छाण तमिच्छामि 434 4 वहे . वट्ट - . 42 1 ०चूलका० चूलिका 448 6 मुकण्हे सुकण्हे :0:--

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