Book Title: Agam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra
Author(s): Saubhagyachandra
Publisher: Saubhagyachandra

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Page 542
________________ हाल ही में शित हुई पुस्तकें आपके जीवनपथ में पद पद पर प्रेरणा देनेवाली प्रत्येक जिज्ञासु को एक सरीखी उपयोगी एवं लाभदायी साधक सहचरी [ गुजराती संस्करण ] जिसमें उत्तराध्ययन, दशवैकालिक तथा सूयगढांग सूत्रों में से चुने हुए श्लोक पुष्पों का सुंदर वर्गीकरण कर सुमधुर पुष्पमाला बनाई गई है । प्रारंभ में प्राकृत मूलगाथा, उसके नीचे उसी भाव से ओतप्रोत गुजराती अनुष्टुप छंद तथा उसके नीचे भाववाही संक्षिप्त सुबोध अर्थ दिया गया है। अप-टू-डेट छपाई और सुंदर बाइडिंग । मूल्य लागत मात्र केवल चार आना : पृष्ट संख्या १०४ हिंदी भाषा भाषी जैनवधुत्रों के लिये शुभ समाचार हमें यह लिखते हुए बड़ा हर्पं होता है कि बहुत से हिन्दी भाषाभाषी जैन बधुओं के आग्रह से हमने इस पुस्तक माला द्वारा गुजराती भाषा में प्रकाशित प्रायः प्रत्येक पुस्तक का हिंदी भाषा में संस्करण निकालने का प्रबंध कर लिया है और बहुत शीघ्र ही ( १ ) आदर्श गृहस्थाश्रम, (२) मुखका साक्षात्कार, ( ३ ) स्मरण शक्ति, (४) साधक सहचरी, ( ५ ) पाप का प्रायश्चित - ये पुस्तकें हिन्दी में प्रकाशित की जायगी ! हमें पूर्ण आशा है कि हिन्दी-भाषाभाषी जैन बन्धु हमें इस पुनीत कार्य में अपना अमूल्य सहयोग देकर भगवान महावीर की पुनीत वाणी एवं विद्वानों के ज्ञान एवं अनुभवों का वर वर प्रचार करने के समीचीन उद्देश्य की पूर्ति करेंगे । बढ़िया छपाई होने पर भी मुल्य लागत मात्र ही रक्त जायगा । जिन चाणी के प्रेमी बन्धु अभी से इस संस्था के सभ्य वनकर रसाहित करेंगे- ऐसी हमें आशा है । निवेदक-महावीर साहित्य प्रकाशन मंदिर, माणेक चोक अहमदाबाद

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