Book Title: Agam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra
Author(s): Saubhagyachandra
Publisher: Saubhagyachandra

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Page 544
________________ DON शीघ्र ही प्रकोशित होने वाले अमूल्य ग्रन्थ (१) आचारांग सूत्र इस ग्रन्थराज की प्रशंसा करना मानों सूर्य को दिया दिखाना है। भगवान महावीर के वचनों का अपूर्व संग्रह और आचार विषयक अनुपम ग्रन्थ है। भगवान महावीर के हृदय को और जैन धर्म के अन्तरंग रहस्य को जानने का यह एक मात्र उपाय है। सरल एवं सुबोध गुजराती में टीका टिप्पणी सहित । मनोहर छपाई और सफाई के साथ मूल्य भो केवल लागत मात्रही रक्खा जायगा। अभी से अपनी कापी का आर्डर भिजवा दीजिये। (२) लेख संग्रह मिन्न भिन्न धार्मिक विषयों पर विद्वान लेखक के गवेपणापूर्ण लेस्रो का संग्रह । इस पुस्तक में कई एक विवादग्रस्त प्रश्नों पर प्रमाणपुरस्सर प्रकाश डाला गया है जिन्हें पढ़ कर सच्चा निर्णय करने में आपको बड़ी सहायता मिलेगी। (३) क्रांति का सजनहार क्रांतिकार की समालोचना। इसमें ऋषि लोकाशाह के प्रमाणिक जीवन और उनकी साधना पर प्रकाश डाला गया है प्रत्येक जैन के घर में इस कर्मयोगी के चरित्र की १-१ प्रति अवश्य होनी चाहिये। -

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