Book Title: Agam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra
Author(s): Saubhagyachandra
Publisher: Saubhagyachandra

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Page 541
________________ .. भाव शुद्धि, . श्रात्मशुद्धि,' कर्म शुद्धि का एकमात्र उपाय पाप का प्रायश्चित इस पुस्तक में आधुनिक युगोचित प्रतिक्रमण और बारह व्रतों में लगनेवाले दोषों के प्रायश्चित बड़ी ही सरल एवं सुबोध भाषा में दिये गये हैं। इसके पहिले पृष्ठ पर प्राकृत भाषा में मूल गाथा और उसके नीचे छायासहित संस्कृत श्लोक और उसके सामने के दूसरे पृष्ठ पर गुजराती भाषा में अनूदित पद्य और उसके नीचे विशद् अर्थपूर्ण भावानुवाद दिया गया है। डाक खर्च एक पाना : पृष्ठ संख्या सौ : कीमत-मात्र एक पाना आप जिसकी वहुत दिनों से राह देख रहे थे, गृहस्थाश्रम धर्म को आदर्श की तरफ प्रेरित करनेवाला और विद्वानों __ द्वारा भूरि २ प्रशंसित आदश गृहस्थाश्रम [गुजराती संस्करण ] गृहस्थ धर्म सम्बन्धी कर्तव्यों पर बहुत ही मार्मिक विवेचन किया ___ गया है। पुस्तक को एक बार उठा लेने पर इसे पूरा किये बिना आपका जी न मानेगा। गृहस्थाश्रम में रहते हुए आत्मिक एवं आध्यात्मिक उद्देश्यों की पूर्ति की एक मात्र कुञ्जी। अाज ही मंगा लीजिये । केवल थोड़ी-सी । :: प्रतियां शेष हैं।. . पृष्ट संख्या ३०० : डा. ख. तीन आ. : मूल्य-लागत मात्र १० आ.

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