Book Title: Agam 42 mool 03 Dashvaikalik Sutra
Author(s): Shayyambhavsuri, Bhadrabahuswami, Agstisingh, Punyavijay
Publisher: Prakrit Granth Parishad
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णिज्जुत्ति-चुणिसंजुयं
[दसमं सभिक्खुअज्झयणं
१०
[दसमं सभिक्खुअन्झयणं]
5 इह कंचि विणय-मति-धम्मसाहणे जोग्गं पुरिसं प्रति पढेमज्झयणे धम्मो पसंसितो १ । धम्मसाहणत्थमेव बितिए [धिती] २ | धितीमतो य धम्मे ततिये आयारसमासो ३। आयारो विदितजीवनिकायस्स भवतीति चतुत्थे जीवपरिण्णा ४। विदितजीवस्स धम्मसाहणसरीरधारणत्थं पिंडसोही पंचमे ५। कतसरीरधारणस्स छठे महती आयारकथा ६। आयारसुत्थियस्स परोवदेसणत्थं सत्तमे वयणविभत्ती ७ । विदियवयणविणियोगस्स मणोविसोधणट्ठमट्ठमे आयारप्पणिधी ८। सुप्पणिधियस्स गुरुसमाराधणत्थं णवमे विणयो ९ । एवं णवअझयणाणुक्कमेण विणीयचेट्ठो जो दसमज्झयणगुणाणुक्करिसणे 10 नियमिज्जति पुणो स भिक्खू इति एस सभिक्खुआभिसंबंधो। तस्स चत्तारि अणिओगद्दारा जधा आवस्सए ।
मनिप्फण्णो सभिक्खू, सगारो निक्खिवितव्वो, भिक्खू य । सकारस्स निक्खेवो णामादि चउब्धिहो। णाम-ट्ठवणातो गतातो । जाणगसरीरदव्वसगारो य जहा सामाइए। जाणगसरीरभवियसरीरवतिरित्तो दव्वसगारो इमेण गाहापुव्वद्धण भण्णति
निद्देस पसंसाए अत्थीभावे य होति तु सकारो। 15 निद्देस पसंसाए । सकारो तिसु अत्येसु वदृति--निद्देस १ पसंसाए २ अस्थिभावे ३ य। निदेसे जधा एत्थ--
नदीकूलं मित्त्वा कुवलयमिवोत्पाट्य सुतरून् , मदोद्वत्तान् हत्वा कर-चरण-दन्तैः प्रतिगजान् ।
जरां प्राप्याऽनायाँ तरुणिजनविद्वेषणकरी, स एवायं नागः सहति कलभेम्यः परिभवम् ॥१॥ पसंसाए जहा-सप्पुरिसो सजणो। अस्थित्ते जधा–सम्भावो एस । गतो दव्वसगारो। सगारोवयुत्तो जीवो 20 भावसगारो॥
निद्देस पसंसाएं य वमाणेणे अधिगारो ॥१॥॥२३०॥ निद्देस पसंसाए० गाधापच्छद्धं । एतम्मि दसमज्झयणे निदेस पसंसाए [य] वट्टमाणेण अधिकारो ॥१॥ २३० ॥ कहं ? जेण
जे भावा दसकालियसुत्ते करणिज्ज वैण्णित जिणेहिं । 25
तेर्सि समाणणम्मी जो भिक्खू इति भवति स भिक्खू ॥२॥२३१॥ जे भावा दसकालियसुत्ते. [गाधा। जे भावा दसकालियसुत्ते] करणिज्जा इति वण्णिता जिणेहिं तेसिं समाणणम्मि कते ततो [जो] भिक्खू [इति] एवं भवति, जेण एते गुणा समाणिता स
१निहेस १ पसंसा२ अस्थिभावो३य मूलादर्श ॥२°ए अधिकारो पत्थ अज्झयणे खं० वी० पु० सा० हाटी०॥३ पत्थ दव्यसगारो मूलादर्शे ॥ ४ दसवेयालियम्मि कर खं० वी० पु० सा. वृद्ध० हाटी० ।। ५ सणिय वृद्ध ॥ ६ समाणणम्मी सो-भिक्खू भण्णइ स भिक्खू वृद्ध० । समावणम्मी भिक्खू इइ भण्णइ स भिक्खू हाटी• । समाणणम्मी जो भिक्खू ते (त्ति) भन्नइ स भिक्खू खं० । समाणणम्मि जो भिक्खू इइ भन्नइ स भिक्खू वी० । समाणणम्मि ति जो भिक्खू भन्नड स भिक्खू सा० ॥
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