Book Title: Agam 38A Jiyakappo Chheysutt 05A Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 13
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Y www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (१६) पिंडोवहि- सेजाई गहियं कडोगिणोवउत्तेण । पच्छा नाथमसुद्धं सुद्धो विहिणा विर्गिचंतो (१७) कालऽद्धाणाइच्छिय- अनुग्गयत्यभिय-गहियमसढो उ कारण- गहि उव्वरिय भत्ताइ - विगिंचियं सुद्धो (१८) गमणागमण - विहारे सुयम्मि सावज - सुविणयाईसु नावा - नइ - संतारे पायच्छितं विउस्सागो (१९) भत्ते पाणे सयणासणे य अरिहंत समण- सेजासु उच्चारे पासवणे पणवीसं होति ऊसासा (२०) हत्य-सय-वाहिराओ गमणाऽऽगमणाइएस पणवीसं पाणिवहाई- सुविणे सयमसयं चउत्यम्मि (२१) देसिय-राइय-पक्खिय- चाउम्पास वरिसेषु परिमाणं सयमर्द्ध तिन्नि सया पंच-सऽ द्रुत्तरसहस्सं (२२) उद्देस - समुद्दे से सत्तायीसं अनुष्णवणियाए । अव ऊसासाठवण पडिक्कमणभाई (२३) उद्देसऽज्झयण - सुयक्खंधंगेसु कमसो पमाइस्स कालाइक्कमणाइसु नाणायाराइयारेसु (२४) निव्विगइय-पुरिमड्ढेगभत-आयंबिलं चणागाढे पुरिमाई खमतं आगाढे एक्मत्ये वि (२५) सामत्रं पुण सुत्ते मयमायामं चउत्थमत्यम्मि अप्पत्ताऽपत्ताऽवत्त-वायणुद्दे सणासु य (२६) कालाविसजणाइसु मंडलि-वसुहाऽपमजणाइसु य निव्वीइयमकरणे अक्ख-निसेजा अभट्ठो (२७) आगाढाणागाढम्म सव्व-भंगे य देस-मंगे व जोगे छट्ठ-चउत्थं चउत्यमायंबिलं कमलो (२८) संकाइएसु देसे खमणं मिच्छोवबूहणाइसु य पुरिमाई खमतं भिक्खु-प्यभिईण व चउण्हं (२९) एवं चिय पत्तेयं उवबूहाईणमकरणे जइणं आयामंतं निव्वीइगाइ पासत्य-सड्ढेसु (३०) परिवाराइ-निमित्तं ममत्त-परिपालगाइ वच्छल्ले साहम्मिओ त्ति संजम हेउं वा सव्यहिं सुद्धो (३१) एगिंदियाण घट्टणमगाढ गाढ परियावद्दवणे । निव्वीयं पुरिमड्ढ आसणमायाभगं कमसो (३२) पुरिमाई खमणंतं अनंत-विगलिंदियाण पत्तेयं पंचिदियम्मि एगारणाइ कल्लाणयमगं ( 11 ) मोसाइसु मेहुण वज्रिएसुदव्वाइ-यत्यु-मित्रेसु ही मक्कोसे आसणमायाम-खमणाई For Private And Personal Use Only जीपकप्पो (१६) ।।१६।1-16 119७11-17 119 11-18 119311-10 १२०11-20 ॥२१॥-21 1RRI-22 ॥२३॥-23 ॥२४॥-24 ॥२५॥-25 ॥२६॥-28 ||३७|--27 ||२८|-28 ||२९||-29 113001-30 ||३१||-31 ||३२||-32 ||३३|33

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